11/05/2007
dipawali ki shubhkamnaye.
दीपो का ये त्यौहार आपकी जिन्दगी को नयी उर्जा और रौशनी से भर दे .जिसकी चमक और रौशनी आपके आस पास के लोगो के चेहरों पर उमंग भरी मुस्कान के रूप में आप तक वापस लोटे और हर किसी के चरे पर फेलती ही जाये .
10/30/2007
beauty of a women.
The beauty of a womanIs not in the clothes she wearsThe figure she carriesOr the way she combs her hair.The beauty of a womanMust be seen from her eyes,Because that is the doorway to her heart,The place where love resides.The beauty of a woman,Is not in a facial mole,But true beauty in a womanIs reflected in her soul.It is the caring that she lovingly gives,The passion that she shows,The beauty of a womanWith passing years - only grows
10/28/2007
pyar
Phul se kisi ne pucha.Tune di khushbu tujhko kya mila.Phul ne kaha. dene k badle lena to vyapar hai.Jo dekar bhi kuch na mange wahi pyar hai.......
10/22/2007
8/05/2007
8/02/2007
किरण बेदी
सरकार गूंगी महिला को राष्टपति बनवा कर अम्हिला सशक्तिकरण का नारा पीट रही हे । । ताकी रस्त्पत ई उनके किसी अनुचित कार्य मे भी रोकावत ना डाले । दुसरी ओर किअर्ण बेदी जेसी काबिल इप्स ओफ्फिसर कि सिनियार्ती को नजरअंदाज करके किसी ओर को देल्ही का पुलिस आय्कत बनाना गह्तिया राजनीति का सबूत हे । कॉग्रेस कि यही परेशानी हे । याहा नेतार्ताव भी उलटी सीधे सलाह कारो के हिसाब से काम कर्ता हे खुद अपनी समझ से निर्णय नही लेटा । । राजीव के समय भी शाहबानो को उलटने ओर रांम मंदिर का टला खुलवाने जेसी सलाहे श्री अर्जुन सिंह जेसे नेता ने ही दी थी । जिनके पेट मे आजकल अल्प्संख्य्को के पिच्देपन को लेकर बल पद रहे हे । .pata nahi kis naag ke beej bo rahe he . itihaas 8nhe maaf nahi karegaa .कलाम शब् ने सही कहा हे भारत को कोई महाशक्ति बन्ने से रोक सकता हे तो सिर्फ उसके नेता ही रोक सकते हे ।
देहली मे बसें
अभी हिंदुस्तान पेपर मे डी रजा जो वामपंथी हे का कथन पढ .vo corporet fild ke is फिल्ड मे उतरने कि अनुमति देने के विरोधी हे । पता नही एसे लोग कब सुधरेंगे .दुनिया मे समाजवाद आयेगा या नही । गरीबी मिटेगी या नही .पर इनके विचार कभी बदलने वाले नही हे । भारत को ५० साल तक समाजवाद के नाम पर गरीब बनाए रखने ओर ब्रस्ताचार कि खेती से भी इन्हें अकाल; नही आयी । .समय बदल गया हे । बाजार के मध्यम से भी समाजवाद अ सकता हे अगर आप गरीब को भी उद्यमी बन्ने कि कोशिश करे । .बसो को बर्थ नेताओ के कब्जे मे बनाए रखने के बजाये बरंद आधारित । सस्ती व महंगी बुसू का संचालन ज्यादा उचित होगा । दुर्घत्ने निजी द्रीवारो डरा नही बल्कि एसे अन्त्रेंद चाल्को को दादित ना कर पाने के कारण हे । मुझे याद हे आज से बीस साल पहले मेरे गाव से जीपो कि भी एसी ही किल्लत होती थी । लोग खाते थे जनसंख्या बद रही हे इसलिये एसे ही तहस तहस कर जाओ । अब पता नही क्या हो गया । जीपो वाले घटे मे जा रहे हे । जनसंख्या तो पहले से भी ज्यादा हो गया हे । जाहिर हे लिसेंसे राज के बहोत गलत परिणाम आये हे । इसका फयद आना गरीब जनता को मिला हे ना उपभोक्ज्ताओ को । । cheen me bhi to sudhar ho gayaa he . hum log is samaajvad ke jhute juee ko kab utaar kar fekenge jisme apni pargti ke liye sarkaar ki or muh taakne ki parvarti hoti he . udyamita or apne dum par aage badhne ki nahi .
8/01/2007
7/11/2007
छोटू --जोक
एक बार एक शराबी रोज शिव मंदिर जता था .एक दिन किसी ने भगवान शिव कि प्रतिमा हटाकर गणेश जी कि रख दी .शराबी आया बोला --ए छोटू पापा से बोलना मे आया था .
7/10/2007
लडकिया /लड़के -joke
permi perimikaa me nok jhok ho rahi thi .ladke ne kaha ladkiyaa bus ki tarh he chut jaye to gum nahi karnaa chiye . ek chut jaye to dusari mil jati he . is par ladki ne kahaa or ladke auto ki tarha he ek ko bulaoo to chaar chaar chle aate he .he na ha ha
6/22/2007
शेर
Mushkilo se bhag jana aasan hota hai,Har mod par jindgi ka imtahan hota hai,Darne walo ko kuch milta nahi Zindgi mai,Ladne walo k pairo mai Jahan hota hai....
ज़िन्दगी
कुलबुलाती चेतना के लियेसारी सृष्टि निर्जनऔर....कोई जगह ऐसी नहींसपने जहाँ रख दूँ!दृष्टि के पथ में तिमिर हैऔ' हृदय में छटपटाहटजिन्दगी आखिर कहाँ पर फेंक दूँ मैंकहाँ रख दूँ?~~~~~~कवि दुष्यंत कुमार
6/10/2007
मे मर जाउंगा ?(मे खुद नही किसी ओर कि कहानी हे )
कुछ दिनों पहले नेट पर एक लड़के से बात हुई .उसकी उमर १९ साल ओर उसकी प्रेमिका कि उमर १७-१८ .वो कह रह अथ अकी वो उसे सच्चा प्यार करता हे ओर वो भी उसे .मेने कहा मन लो २-४ साल मे उसका या तुम्हारा मन बदल जाये या किसी को कोई ओर पसंद आ जाये तो ? क्योकि उसके अनुसार उसकी प्रेमिका डॉक्टर बन्ने के लिए पढाई करेगी । मेने कहा एसे मे ये संभव हे कि कोई ओर उसके नजदीक आ जाये या एसा तुम्हारे साथ ही हो जाये । उसने कहा कि अगर उसने कभी बेवफाई कि तो वो आत्महत्या कर लेगा .उसके हिसाब से सच्चे प्यारका यही मतलब हे .मेने कह आ यार जब तुम उसे ओर वो तुम्हे sachhapyar करती हे तो तो तुम्हारे दिमाग मे ये ख़्याल hi kese aaya ki usne dhokhaa diya to? इसका मतलब अभी विस्वास इस हद तक विक्सित नही हुआ । वरना तुम ये कहते कि वो मुझे कभी नही दूर करेगी .वो मेरे बिना जी नही पायेगी .तो थिक हे लेकिन अक ओर तो तुम शक कर रहे हो .दुसरी ओर अभी से निर्णय कर लिया कि आक्त्म्हात्या कर लूंगा । ये प्राकृतिक नही हे.ह प्यार मे जब दिल टूटता हे तो एसे लोगो कि जीन एकी इच्छा ख़त्म हो जती हे .पर पहले से ही एसा निर्णय करना गम्भीर मनोवेग्यानिक समस्या हे .शित्य्कारो फिल्म्वालो को प्यार को गर्वंवी करते समय भी ये ध्यान रखना कहिये । अधिकांश पेर्मी जोडे भी प्यार कि उस पराकाष्ठा तन से गुजर कर आत्म के मिलन तक नही पहुच पाते .ज्यादातर मामलो मे ये सिर्फ एक अची दोस्ती साबित होती हे .पर प्यार का ग्लेमर इतना हे कि हर कोई अपन एआप्को इसमे इन्वाल्व दिखाता हे भले ही वो विकल्पो कि कमी या योंन आकर्षण का ही केजुअल संबंध हो .पर उसे सच्चे प्यार के रुप मे दिखाना ओर उसके लिए मरने मिटने कि भावना रखना गलत हे । ये भाव्नाये .गहन प्यार का अनुभव होने ओर उसके टूट जाने के बाद हो तो कोई बुराई नही लेकिन पहले से ही एसा सोचना अपरिपक्वता हे .अम्नोवेज्ञ्निक भी आईएस बात को स्वीकार रहे हे कि प्यार समाज मे अक बड़ी बुरी बनकर उभर रहा हे इसकी वजह से लोग अपनी थिक ठाक जिन्दगी को छोड़कर अनजानी रहो पर चल रहे हे नतीजा परिवारी विघटन .तलाक । बचू के अलगाव व अकेलेपन के रुप मे निकल रहा हे .मेने उसे लाख समझाया कि अभी आराम से जिन्दगी जीओ .प्यार क आनद लो ज्यादा मत सोचो ना ही दरो .जिन्दगी भर साथ रहने का इरादा एच तो उमर होते होई शादी कर लो .अक्सर लडकिया .तीन AGE मे हुई प्यार को बाद मे अच्छी करियर कि वजह सेठुकारा देती हे । मुझे आज भी उस लडके के शब्द अच्च्ची तरह याद हे ---कि अगर उसने बेवफाई कि तो मे मर जाउंगा .क्योकि सच्चे प्यार का यही मतलब हे .??क्यासछा प्यार हो ना हो लेकिन दुनिय अको दिखने के लिए ही कि मे सच्चा प्यार कर्ता था --आत्महत्या मनोवाग्यानिक बीमारी नही हे प्यार को गोरावान्वित करना तो थिक हे लेकिन प्यार के विभिन पक्षो ओर जीवन मे फली सछईयो को बहार लं आना क्या साहित्यकारो फिल्म्कारो का दायित्व नही हे --मधुर भंडारकर कि तरह ,.अगर उस लाद्क एने कभी आत्महत्या कि तो उसकी वजह प्यार नही होगा बल्कि उसकी प्यार के बारे मे एसी समझ होगी जो उसे खुदबनने पर मजबूर कर देगी । जिन्दगी मे अगर वो आगे बढ पाय तो नही मरेगा ओर नही बढ पाया तो अपनी साड़ी अस्फल्ताऊ से उत्पन्न निरर्थकता बोध को किनारे रखकर प्यार मे दिल टूटने को इसकी वजह मने गा ओर मर्त्यु का वर्ण करेगा .हना सच्चा प्यार ?आत्महत्या ओर समझा का फर्का .अगर कोई आत्महत्या ना करे तो इसका मतलब हे कि वो सच्चा प्यार नही नही कर्ता। आये दिन लड़को द्वारा खुद को आग लगाने या अक्प्क्शिया प्यार मे मरने कि खबरे आती रहती हे .जाहिर हे प्यार का यथार्थवादी दर्श्ती से विश्लेषण का आभाव हे ..अगर आपको भी कोई लड़का या लडकी से प्यार हो जाये ओर बाद मे संबंध टूट ज्ये तो आप भी आईएस एसछा प्यार का नाम देकर मर्त्यु के बाद भी पर्सिधा हो सकते हे .कितना नीच हे आदमी आत्महत्या मे भी आएदेंतिती दून्धता हे .जीती जी ना शै मरने के बाद ही पर्सिध हो जाये.मेरी समझ मे तो जिन्दगी से बड़ी कोपी चीज नही । सछ एप्यार के नाम पर आत्न्ह्त्या का विचार रखना खुद के प्रति बेईमानी हे ओर खुच नही ।
हमसफ़र
क्यूं कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नहीहोतासच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होताकोई सह लेता है कोई कह लेता है क्यूँकी ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होताआज अपनो ने ही सीखा दिया हमेयहाँ ठोकर देने वाला हैर पत्थर नही होताक्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे होइसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होताकोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना करख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता!!! कापी पेस्ट करने मे पूर्णविराम ग़ायब हो गया हे .सो शमा करे .
6/06/2007
सच्ची खुशी
खुशी मन का एक भाव हे या फिर चीजो को इकट्ठा करने ओर उपभोग करने ओर स्वामित्व के भव से पेदा होने वाली कोई चीज ?पहले राजा ओर दरबारी रथ पर चलते थे तो बडे खुश होते थे --कि हम दुनिया से कितने आगे ओर विशेशाधिकारो का प्रयोग करने वाले आदमी हे ,भले ही उन्हें रथ का डंडा पकड़ कर हिलते दुलते चलना पडे क्योकि सडक तो उबड़ खाबड़ ही होती थी .बाकी लोग सोचते थे काश मेरे पास भी रथ होता तो कितना अच्छा होता.आज सब लोगो के पास यात्रा करने मे सुविधा कि द्र्श्ती से अच्छे साधन हे फिर भी सब के पास अक कार या बड़ी महंगी कार का सपना हे.ओर लोगो ने उसके प्रपात ना होने तक खुशी को स्थगित कर रखा हे .कार आ जाने कि खुशी भी ज्यादा देर टिकेगी नही क्योकि वो भी एक भव हे .स्वामित्व के भाव से पेदा होने वाली श्निक खुशी hepac
6/02/2007
माँ ,बेटी,बहन ,पत्नी ----बाप बेटा ,भाई पति
महिलाओ से एसी पकेशाये ओर पुरुषो से नही .दोहरे पर्तिमानो कि सूचक हे .जिस पार्कर पुरुष जीवन भर पुरुष बने रहकर अन्य भिमिकाओ को निभाता हे वेसे स्वतंत्रता स्त्री को प्राप्त नही हे .इन आदर्शो को आरोपण का ही परिणाम हे कि इनसे विचलन अक्श्य्म अपराध समझा जता हे ओर उन्हें कुलटा बेहया ओर जमीन मे गाड़कर पथ्रो से मारने तक कि सजा दी जति रही हे जबकि पुरुषो मे इन आदर्शो का आरोपण ना करके उन्हें इस मामले मे छूट दी जाती रही हे .सवाल ये कि हम स्त्री व पुरुष को अक जेअया क्यो नही मान सकते --- नारी तुम केवल शर्दा हो विस्वास रजत नभ पग तल मे --ओर इससे नीचे उतरी तो मे तुम्हे गला दबाकर मार डालूँगा । हां हां इसका स्वाभाविक परिणाम तो यही हे । ए मानाने मे क्या समस्या हे कि स्तरीय भी पुरुषो कि भाती सिर्फ इन्सान हे भगवान् नही । उन पर अक हद से ज्यादा आदर्शो का आरोपण उनके लिए अन्याय कि पर्स्थ्भुमी तैयार कर्ता हे .वाही बात हे कि जिस दश मे दुर्गा कि पूजा होती हे उसी मे इन्हें पत् मे ही मार दिया जता हे .हलाकि माँ कि भूमिका विशेष हे इसमे ये तर्क लागु नही किया जा सकता । मे भी प्रेमचंद जी ई इस बात को मानता हु कि --एक स्त्री मे अगर पुर्ष के गुन आ जाये तो वह कुलटा हो जति हे लेकिन अगर अक पुरुष मे स्त्री के गुन आ जाये तो वह संत हो जता हे । । फिर भी इन बातो को अक हद से आगे खीचा जाना अन्याय कि पर्स्थ्भुमी तयार कर्ता ह .
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बाप बेटा भाई पति,
माँ बेटी बहन पत्नी
अर्धांगिनी
नारीवाद व महिला sashaktikarna को बढावा देने के लिए स्कुलो ओर कालेजो मे होने वाले विमाषा ओर वद्द विवादी ,निबंधो मे जुमले कि तरह दो उदाहरण भूत पेश किये जाते हे .एक तो
अर्धांगिनी शब्द ,दुसरा यात्रा नारी पुज्यनते राम्नते तत्र देवता का । मेरी समझा मे ये दोनो हमारे गहरे तक शामिल प्त्र्सत्तावादी संसकारो के ही सूचक हे ना कि समानता के ॥ अर्धांगिनी शब्दा अच्छा हे पर ये भी नारी को पुरुष का आधा हिस्सा बताता हे यानी नारी कि याख्या पुरुष के हिस्से के रूप मे कि जाती हे .यानी अगर पुरुष ना हो तो नारी का आस्तिताव ही संभव नही हे क्योकि वो उसका आधा हिस्सा हे .मगर पुरुष के लिए एसा कोई शब्द नही हे कि वो नारी के शरीर का आधा हिस्सा हे । । अता सुच बात तो यही हे कि अर्ध्न्गिनी शब्दा नारी को वस्तु से ऊपर उठाकर अपने अनन्य हिस्से के रूप मे मान्यता देता हे पर फिर भी पुँ समानता का दर्जा नही देता .आत बार इसकी रत लगाना व इसके आगे अपने विच्रो को सम्पेरिशित ना कर पाना जहा शिक्षा मे रत्तेपन का सूचक हे वाही हमारी सोच कि सीमाओ का भी .
5/10/2007
शिक्षा एक पणय॒ वस्तु क्यो नही ?
शिक्षा एक पणय॒ वस्तु हे ओर इसका विक्रय होना ही चाहिऐ .भारत मे शिक्षॉ का मतलब सुच्नाओ कि उलटी भर हे --वय्क्तिताव का विकास नही .सुच्नाओ कि उलटी करने वाले अध्यापक बछो के वेयाक्तिताव को दबाते हे उभरते नही .फिर इसके व्यापार से दर केसा बल्कि इससे शिक्षा को सस्ता बनाने मे मदद मिलेगी .शिक्षा पर कुछ गिने चुने संस्थानों का कब्जा ना होकर पर्तिस्पर्धा व बडे बाजार के कारन ये इतनी सस्ती हो जाये कि हर किसी कि पहुच मे आ सके ओर हर कोई अपने लिए उपयोगी कोर्स कर सके नकी सिर्फ माँ बीए करने के लिय्वे मजबूर राहे .हलाकि निजीकरण ओर बजारिका छतीसगढ़ जेसा नही होना चाहिऐ कि हर कोई दूकान खोलकर बेत जाये बल्कि कर्माश सुधर होना चहिये ओर छात्रो के बच्व के भरसक उपाय होने चाहिऐ ।
स्कुलो मे उपस्थिति ?
अक्सर ये कहा जाता हे कि स्कुलो - कोलेजोमे छात्र उपस्थित नही रहते इसलिये छात्रो के लिए उपस्थिति अनिवार्य होनी चाहिऐ .मेरी समझ मे छात्रो कि नही शिक्षको कि उपस्थिति अनिवार्य किये जाने के पर्यास होने चहिए बेइमानी भरा तर्क हे कि --छात्र कक्षाओ मे नही आते क्या कोई दूकानदार ये तर्क देता हे कि चुकी ग्राहक नही आ रहे इसलिये मे दुकान पर नही रहूंगा .अगर छात्रो के ना आने पर अध्यापको को वेतन ना मिले तो --वो निजी स्कुलो के तरह मजबूर हो जायेंगे ।
5/07/2007
एक पक्षीय कानून ?दहेज़ घरेलू हिंसा .
मेरा अक मित्र पुलिस मे कॉन्स्टेबल हे उसने बताया कि दहेज़ मे दर्ज़ होने वाले ७० पर्तिशत मामले झूठे होते हे .वास्तविक रुप से पिउदित महिलाये तो अभी भी कनुना का फायदा नही ले [प रही हे उल्टे ससुराल वाले थोड़ी भी कहा सुनी होने पर या तलाक के लिए उइसका इस्तेमाल करते हे .बस अफ ई र दर्ज़ कराने कि देर हे ओर फिर सरे घर के अन्दर छे भुदी सास हो या जवान ननद -----क्या वो महिलाये नही हे ..समय के हिसाब से कुछ तो बदलाव किये ही जाने कहिये जेसे पडोसियों ओर ससुराल पक्ष के रिश्तेदारो को भी गवाह समन हो तब गिरफ्तारी हो वो भी केवल पुरुष सदस्यों कि .मे भी पहले महिलाओ को भूत सहानुभूति के साथ देखता था पर अब लगता हे बव्नाओ मे बहे बिना सत्य का पता लगाकर ही मत यकता करना चहिये ....हलाकि इसका उलटा पक्ष भी सत्य हे पर आज भी इसका दुरूपयोग ही हो रह हे सादुप्योग नही .यही हाल घरेलू हिंसा का होने जा रह हे .जिनके भी पति इअस या बडे पदो पर आमिर हे उनकी पत्निया तलक के लिए या अपने अवेधा संबंधो के पकड़े जाने पर इसका सहारा ले रही हे .अब रस्ते च्ल्त्वे अगर कोई लडकी मुझ पर आरोप लगाए कि वो मेरी पेरिमिका रही हे लिहाजा उसे उसका हक दिलाया जाये तो सबकुछ फिर उस लडकी कि मर्जी से ही होगा । अब गाव के राम्पर्साद कि बीवी तो अपने शराबी पति के खिलाफ रपट लिखने से रही .कुल मिलाकर ना तो हर स्त्री देवता हे ना ही हर पुरुष राक्षस हे । अब सूना हे बल विवाह पर दो साल कि कद ओर २०००० जुर्माना करने का विचार हे । हां हां सम्म्स्य का समाधान करने किससे बेहतर तरीका ओर क्या हो सकता हे जेसे गरीबी नही मिटी तो क्या हुआ गरीब ही मिटा दो ..वेसे ही ये कानून पुक्लिस वालो के लिए लूटने का लिसेंसा बन जायेगा इसमे कोई शक कि बात नही हे .अभी मेरे शर कि एक खबर ने मुझे ही विचलित कर दिया ----एक पति ने गुसे मे अपनी पत्नी को रात भर धोवाने (कपडे कुइताने का बात जेसा डंडा ) कि वो मर गी पित्पित्ते समय उसकी चोटी सी बेटी ने बाप के पान्वो मे लिपटकर माँ को ना मरने कि अपील कि लेकिन उस शेतान का दिल नही पसीजा .उसे शक था कि उसकी पत्नी के किसी से अवेधा संबंध थे .अगर ये सच हो तो भी किसी को इस तरह तो नही मारा जा सकता । क्या घरेलू हिंसा कानून इस तरह कि घटनाओ को रोक पायेगा जाहिर हे इउस तरह के कानून बंब्वा कर वूमेन अच्तिविस्त इसका सेहरा अपने सिर बंधय्न्गी ओर आसी ओरते आसे ही मरती रहन्गी । क्याफिर इस बहस को ख़त्म कर दिया जाएगा मनो अब कोई ह्गारेव्लू हिंसा का मामला ही ना होता हो .तो आप बाल विवाह कानून के लिए तैयार रहे । । कही सैकार का हाल आपत्कात के इंदिरा कि तरह ना हो जाये .....
हिंदी मे लिखना बहुत आसान
blaaggar के बेसिक मे जाकर transalitariyana मे यस् करे आपके ब्लोग कोम्पोज मे हिंदी वाला बटन. दिखेगा .मुझे तो बजरावाला जी ने हे . नए के लिए सबसे सुविधाजनक ओर बिना झंझट के आप हिंदी मे लिख सकते हे । मेने इसे बरहा से बेहतर पाया हे । एडिटिंग कि सुविधा भी हे .नए लेखको ओर पाठको को सुझाव दे बेतार तो यही हे कि कोई अच्छा तकनिकी लेखक इसके गुनू कि अन्य से तुलना करके ब्लोग लिख दे । शयद किसी ने लिखा भी हो पर मेरी नजर नही पडी वरना मे रोमन मे लिखकर परेशान नही होता । एक बार फिर बजरावाला जी का धन्यवाद ।
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ब्लॉगर पर हिंदी,
हिंदी मे केसे लिखे
5/04/2007
roman me kyo ?meri samsya?
ak ko ijajat denge to kal 10 or aa jayenge .. to kya ye achhe baat nahi hogi . halki narad ke bajaya ase logo ke liye ak alag manch banaya jana chhiye . 1--1./2 saal se net use kar raha hu hindi me likhne me samarth nahi tha to 6 mah ta k kuch likha hi nahi . fir ghar par net liya to jese tese likhna shuru kiya . abhi sekha bhi nahi tha ki mera p c khraab ho gaya .samyabhav or dhnabhav ke karan abhi tak kharaab hi he .so cefe me jakar kaam chlata hu . blog likhna band hi kar diya tha . fir socha kyo na roman me likh du . pahle do chaar poste angregi me likhi thi to ak post me hi raat se subah ho jati thi . kher ab kefe se . socha ki baraha downlod karke likhu parntu .kefe me har baar naya p c milta he or har ak par downlode to kiya nahi ja sakta . kher meri samsya meri apni samsya he aapki nahi --- kuch dino tak adhyyan me yast onr ke karan 20 may ke bad hi likhna parmbha karunga . tab tak aap chhenge to o r log o ke blag padhkar us par roman me teepnee nahi dunga ......vese mujhe angreji me likhna jyada suvidhajank lagta he kyoki orkut par naye logo ya dosto ko link bejte samya hindi me likha huaa unke p c par display nahi ho pata or ve is or nahi a pate . kher iske liye me apne ak alag blog ka use kar lunga . narad se judne ka fayda ye tha ki ak bada pathk varg mil jata he . kher hindi ko roman me likhne ke liye shama chhta hu . aage se asi galti nahi hogi .narad se nikalne ka shram na kare me khud hi narad par rajisterd blog par roman me nahi likhunga .sheegra hi devnagri me likhunga .ak baar fir galati ke liye mafi chhta hu .vese ak blagger bandhu ne to benaam --- galiya tak beji he . mera apraadha itna bada to nahi he . ishvar unka bhala kare . unki galiya mujhe devnagri me likhne ke sath sath achhe angreji likhne padhne ke liye perit kar rahi he . purane log, purani baaten,purane tark ,purani jid ,purani galiya--mahilaon ko apmanit karne vali, purane to tareeke . naya kuch kabhi hona hi nahi chiye . hum sab jante he . duniya me sabse shrsth hamari sanskarti he . 1800 saal ki gulami -- bhart ka gorav . samndar paar jana paap he ,ahinsa,tark ki anumati nahi he ,duniya me kuch bhi utna bura nahi he jitnaa apne hi dayro me simat jana .
Vireginity ??
aaj ke bharat ke bare me mera anubhav ---- if a malew is vargine it means lack of opporctunity .if a female is vargine it means she dint make the opportunity .so females are more moral
5/02/2007
samajik nyaya---samajik anyaya
rajsthan me teachers ki barti ke liye 27000 post nikli thi .usme sc,st,ki mahilao ki kut off 200 me se 8 number gee he . ab aasi ladliya bhi teacher ban jayengi jo 200 me se 8 number layi he . dusri or genral ki 120 se 95 tak gee he .or 95 se neeche number lane vale ka asntosh aap samjh sakenge . vichlan 10---20 number ka ho to koi baat nahi . par ye kya aap bachho ko 200 me se 8 number valo se padhvange . mera unse koi dushmani nahi he . vo to bechre abhi 10 bhi pas nahi kar pate isiliye unki 500 site khali he . lakin meri hi jesi economilc background vale ko nokari or 80 -90 number lane ko thokare ye kaha ka nayaya he .vchliye is baat ko chode .klakin shksha prapat karna bachhe ka adhikar he . schoolo ka mukhya udeshya hi yahi he . samajik nayaya karna nahi . ye seedhe seedhe padhne vale bachho ke bhvishya ke sath kutharaghat he . samjik nayay or sksha pardan karne ke mulyo me susangti honi chiye . inme vichlamn 10 partishat se jyada ho or site khali rah jaye iskas matlab ye nahi ki sarkae pichdepan ke naam par in logo ke agde vargo ko revadiya baat de . ye to samajik anyaya he . iski vajah jati ko aarakshan ka akmatra karka banana ka parinaama he . mira ya ni multipal index ----vanchan suchkank apnana chhiye .kyoki pichdapan kee aadharo par hota he jese jati ,aarthik ,bhasha ,shetra.... lakin mediya me bhi vanchan suchkank ke bare me jankaari kabhi kabhar hi milti he .jin logo ko aarshan milta he un he bhi iske paksh me aage aana chhiye .. varna bhart me bhumat ki tanashahi janmat ka apharn kar ne se baaj nahi aayegi .
YAUN SHIKSHA KYO NAHI?
रामदेव जी ने कहा हें की यौन नहीं योग शिक्षा दो.में रामदेव जी और उनके योग का प्रशंसक हु पर यौन शिक्षा पर उनके विचार पचते नहीं हें. भारत में ज्यादातर दम्पति अपने वैवाहिक जीवन का आनंद नहीं उठा पाते.
शरीर से इंकार करने का परिनाम संबंधो के वास्तव में शारीर से ऊपर न उठ पाने के रूप में प्रकट होता हे . BHART AK SAX KE PARTI ABSEST DESH HE . BACHHO SE 50 PARTISHAT YON DURYAVHAAR KE MAMLE BHI ISKI PUSTI KARTE HE . SAMAJ KA VATAVARN ATYANT KAMUK HE DIN BHAR ME PYAR YA SAX KE BARE ME GAHE BAGAHE 4-5 SUNNE DEKHNE KO TO MIL HI JATA HE .FIR AGAR BAGVAN YA PARKARTI NE HI MANUSHYA KO AASA BANAYA HE TO AAP ANTIM SATYA KA DAVA KARNE VALE KON HOTE HE .RAMAYAN ME BHI TO RAM NE SITA ---9 VASH KI BALIKA SE VIVAH KIYA THA .VIVHA SAX KARNE KA SAMJIK LEISENCE HI TO HE .IS PAR KH8ULI BAHAS CHLANE KE BAJAYA AADSHVADI NAJRIYE KA PARINAAM YE HUAA HE KI LOGO KO NA CHHTE HUE BHI TARAH TARAH KEW CHRE LAGAANME PADTE HE .SHAREER SE UPAR UTHKAR BAVNAO YA CHTNA KI YATRA KA RASTA YAHI SE JATA HE . AAP BINA ANUBHAV KE ISE NAKAAR NAHI SAKTE .AAYU KA HI PARTIBANDH HOTA TO PAJNANA ANGA 18 YA 21 KI AAYU ME AATE OR ARAJANAN KE PASHT SAMAPT HO JATE . MERI SAMJH ME PAHLE CONDOME JESI SUDHAYE NA HONE KE KARN BACHEE KE LALAN PALAN V A GARVBHVATI STREE KI RAKSHA KE DAYITAV HETU IN PARMPRAO KI UTPATI HUEE HOGI FIR SAMJ NE INHE DHARM ME SHAMIL KAR LIYA . ISIYE YE PARTIBANDH SABHI SAMJO ME DEEKHEE DETE HE . LEKIN SANCHAAE OR GARBHNIRODH KE SADHNO NE IN KARKO KA MAHTAV SAMPT KAR DIYA ISLIYE IN SAMBANDHO KA SWROOP BADAL RAHA HE . ISE SIRF PASCHTAYKARN KAHKAR NAKARA NAHI JA SAKTA . ME POLOGAMY KA ASAMRTHAK NAHUI HU .CYCOLOGIST BHI BATATE HE KI MANV SWABHAV SE MONOGAMIC HE .ANUBHAVI LOG BATA SAKTE HE KI PYAR OR SAX DO ALAG ALAG CHEEJE HE PAR BHAVNAO KI GAHRAEE ME UTRANE KE LIYE SHAREER KO PAAR KARNA JAROORI HE VARNA MAN KI KUNTHA USE BHI YARTH BANA DEGI ./ AB JYADA BHAS ME NAHI PADUNGA . IN MUDDO PAR KHULKAR BOLNA .\ APNE KO HI ANETIK SABIT KARNA HE . HALAKI YON YAYHAR NETIKTA KAS ANG HE YA NAHI YAH VIVADASPAD HE . SAX EDUCATION SE HUME APNE SHAREER KE BARE ME JYADA JANKAIYA MILEGI OR LUST KO KAABU ME RAKHNE YA APNE JIVAN SATHIU KIE SATH UNKE SAHI TAREEKE SE PURNA KIYE JAANE KI SAMBHAVNAYE BADENGI . ISSE AIDS KO ROKANE ME BHI MADAD MILEGI .. RAMDEV JI KI SOCH APNI JAGAH HE .. PAR KYA YE SUCH NAHI HE KI HUM YOG OR MEDITATION IS JEEVAN ME ADHIK SAFALTAYE PARPAT KARNE KE LIYE KARTE HE NA KI NIRBEEJ SAMADHI PRAPAT KARNE KE LIYE .
शरीर से इंकार करने का परिनाम संबंधो के वास्तव में शारीर से ऊपर न उठ पाने के रूप में प्रकट होता हे . BHART AK SAX KE PARTI ABSEST DESH HE . BACHHO SE 50 PARTISHAT YON DURYAVHAAR KE MAMLE BHI ISKI PUSTI KARTE HE . SAMAJ KA VATAVARN ATYANT KAMUK HE DIN BHAR ME PYAR YA SAX KE BARE ME GAHE BAGAHE 4-5 SUNNE DEKHNE KO TO MIL HI JATA HE .FIR AGAR BAGVAN YA PARKARTI NE HI MANUSHYA KO AASA BANAYA HE TO AAP ANTIM SATYA KA DAVA KARNE VALE KON HOTE HE .RAMAYAN ME BHI TO RAM NE SITA ---9 VASH KI BALIKA SE VIVAH KIYA THA .VIVHA SAX KARNE KA SAMJIK LEISENCE HI TO HE .IS PAR KH8ULI BAHAS CHLANE KE BAJAYA AADSHVADI NAJRIYE KA PARINAAM YE HUAA HE KI LOGO KO NA CHHTE HUE BHI TARAH TARAH KEW CHRE LAGAANME PADTE HE .SHAREER SE UPAR UTHKAR BAVNAO YA CHTNA KI YATRA KA RASTA YAHI SE JATA HE . AAP BINA ANUBHAV KE ISE NAKAAR NAHI SAKTE .AAYU KA HI PARTIBANDH HOTA TO PAJNANA ANGA 18 YA 21 KI AAYU ME AATE OR ARAJANAN KE PASHT SAMAPT HO JATE . MERI SAMJH ME PAHLE CONDOME JESI SUDHAYE NA HONE KE KARN BACHEE KE LALAN PALAN V A GARVBHVATI STREE KI RAKSHA KE DAYITAV HETU IN PARMPRAO KI UTPATI HUEE HOGI FIR SAMJ NE INHE DHARM ME SHAMIL KAR LIYA . ISIYE YE PARTIBANDH SABHI SAMJO ME DEEKHEE DETE HE . LEKIN SANCHAAE OR GARBHNIRODH KE SADHNO NE IN KARKO KA MAHTAV SAMPT KAR DIYA ISLIYE IN SAMBANDHO KA SWROOP BADAL RAHA HE . ISE SIRF PASCHTAYKARN KAHKAR NAKARA NAHI JA SAKTA . ME POLOGAMY KA ASAMRTHAK NAHUI HU .CYCOLOGIST BHI BATATE HE KI MANV SWABHAV SE MONOGAMIC HE .ANUBHAVI LOG BATA SAKTE HE KI PYAR OR SAX DO ALAG ALAG CHEEJE HE PAR BHAVNAO KI GAHRAEE ME UTRANE KE LIYE SHAREER KO PAAR KARNA JAROORI HE VARNA MAN KI KUNTHA USE BHI YARTH BANA DEGI ./ AB JYADA BHAS ME NAHI PADUNGA . IN MUDDO PAR KHULKAR BOLNA .\ APNE KO HI ANETIK SABIT KARNA HE . HALAKI YON YAYHAR NETIKTA KAS ANG HE YA NAHI YAH VIVADASPAD HE . SAX EDUCATION SE HUME APNE SHAREER KE BARE ME JYADA JANKAIYA MILEGI OR LUST KO KAABU ME RAKHNE YA APNE JIVAN SATHIU KIE SATH UNKE SAHI TAREEKE SE PURNA KIYE JAANE KI SAMBHAVNAYE BADENGI . ISSE AIDS KO ROKANE ME BHI MADAD MILEGI .. RAMDEV JI KI SOCH APNI JAGAH HE .. PAR KYA YE SUCH NAHI HE KI HUM YOG OR MEDITATION IS JEEVAN ME ADHIK SAFALTAYE PARPAT KARNE KE LIYE KARTE HE NA KI NIRBEEJ SAMADHI PRAPAT KARNE KE LIYE .
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pichdo dalito ke parti sara dard in singh jati ke netaon me hi kyo ?//
pahle v p singh fie mp me digvijaya singh ab arjun singh .samjh me nahi aata agar inka janm pichde jati dalito ,alpsankhyak me nahi huaa to inke seene me itna dard kyo ..jahir he gavo me aaj bhi kisi dalit mahila ko naga karkne se lekar samuhik balatkaar tak in agadi jatiyo jamidar shash vargi ki bhagidari rahi he .or ye hi yaha samjik nyaya ke maseeha ban bethe he .arjun singh ke seene me itna hi dard hota to vo jakar samuhik blatkaar ki shikar priyanka se multe ya uske doshiyo ko saja dilane ki koshish karte ya kanno ko badlane pae nayi bahas chedte . par yaha to har kloi swarthi he . ak tarahf inhi ki varg ke log kapde utarte he dusri or ye samjik nayaya ke naam par vote mangte he .
4/30/2007
JOKES
1980 girls: Maa mei Jeans pehanungiMaa : Nahin beti log kya kahengey ?2006 girls: Maa mein mini skirt pehanungiMaa: Pehen Le beti kuch to pehan Le!___________ _________ _________ _Similarity between Gandhiji & Mallika?Dono NE kapde tyag diye,Ek NE desh ke liye,Doosre NE Deshwasion ke liye!____________ _________ _________ _Exams ke 4 din pehle syllabus dekha to yaad aaya,Kuch To Hua Hai Kuch Ho Gaya Hai,Exams ke din paper dekh kar yaad aaya,Sab Kuch Alag Hai Sab Kuch Naya Hai____________ _________ _________ _Judge: U r crossing the limits.Lawyer: Kaun Saala aisa kehta hai?Judge: How dare you call me saala?Lawyer: My Lod, I said kaun 'sa Law' kehta hai?____________ _________ _________ _Bhikhari: Saab 1 rupaya de do.Saheb: Kal aana.Bhikhari: Saala is kal-kal ke chakkar mein is colony mein mere lakhonRupaye fase huye hain.____________ _________ _________ _Generation Next Motto:Na hum shaadi karenge,Na apne bachchon ko karne denge
CAT--HINDI ME KYO NAHI ?TARK--KUTARK??
CAT KE LIYE PARMBHIK PAREEKSHA KA PAPER JISME 75 PARSHAN TEJI KE SATH 2 GHANTE ME KARNE HOTE HE . OR JISME SAFAL HONE KE BAAD I I M SE NIKLE CHATRO KO MILTI HE 15LAC---12CROR TAK KI NOKRIYA . BUS KUCH LOG HI NARANMURTI KI TARAH APNA YAPAR KHOLNE KA SAHAS JUTA PATE HE . BHURASTIYA CAMNIYO KE LIYE NOKAR TEYAAR KARNE KE KARKHANME JINME BHART KE ABHIJAN VARGOO KE HI BACVHHE HISSA LE SAKE ISKA PURA PUKHTA PARBANDH KIYA GAYA HE .VARNA INKE BACHHO KO COMITITION ME NA THAR PANE KE KARN KEVAL BPO KI NOKRRIYA HI KARNI PADEGI . YE TO HUEE MERE MAN KI YATHA . AB PASHA VOPASH ME DIYE JANE VALE TARKO KA VISHLASHAN KAR LIYA JAYE .ENGLISH KO HI BANAYE RAKHNE KE SAMARTHAK KAHTE HE KI PARBANDHAN KI PADHEE HINDI ME KESE HOGI ?BAAT SAHI HE KUCH HAD TAK LEKIN KYA 5000 SALO SE BHART ME KOI YAPAR VANIJYA NAHI RAHA HE .OR ANGREJI NA JANNE VALE KYA PARBANDHAN NAHI KARTE .2ME HIN DI KA ANDH SAMRTAK NAHI HU .PAHLE LAMBE SAMYA TAK IAS ,CDS,MEDICAL VA VIGYAN SE SAMBANDHIT .EXAM KE LIYE BHI YAHI TARK DIYE JATE RAHE HE . LEKIN AB HINDI KE LAGU HO JANE PAR NA TO IAS KI GUNVATTA GIRI HE NA HI KOI LADKA HINDI SE MEDICAL EXAM ME SAFAL HONE KE BAAD AAGE ENGLISH ME PADHEE KARTE HUEE FAIL HUAA HE .FIR YAH AK PARKAAR KA KUTARK HI HE .SAMSYA YAH HE KI JO LOG IS BARE ME NITIYAQ BANATE HE VO YUVAO KI PARWESHANI NAHI SAMJHTE .ENGLISH TO ALGBAG HAR YUVA JANTA HE PAR BINA KISI ROJGAAR KI GARNTI KE AAP USSE MA KE PAT SE ANGERJI ME BILKUL PUIRN HONWE KI UMEED KARE TO YAH BEEEMANI HOGI .DO GHANTE KE PASPER ME CONVENT SCHOOLO ME PADHE ENGLISH MADHYAM KE HINDI BELT KE CHTRO KO SAMJHNE ME BHI PARESHANI HOTI HE .BAAT YAH HE KI YAHA BHI CHHE TO PAPER HINDOI OR ENGLISH DONO ME DE SAKTE HE SATH HI SAKSHATKAAR BHI HINDI ME DENE KI SUVIDHA DE YA IS TARH CHUNE GAYE CHTRA -CHTRAO KO 3-6YA 9 MAHINE KA COOLING SAMYA DEKAR ENGLISH KI PAREEKHASA LE LE MERA DAVA HE KI VO APNE ROJGAAR KE SURSHIT HONE PAR ENGLISH ME BHI APNI MAHARAT SIDH KAR DEGA . HUME ENGLISH OR HINDI KO AK DUSRE KE PURAK KE ROOP ME BADHVA DENA CHHIYE TAKI GAREEB BHARAT KA SUPERPOWER INDIA BANANE KE BAJAYE /VASTVIK ARTHO ME VIKSIT HO SAKE .KHEWR MERE PAAS PAKSH VIPAKSH ME BHOOT SE TARK THE PARNTU MENE SABSE MOOL TARK KO UTHAKAR USKA KHANDAN KAR DIYA HE . AGAR KOIENGLISH KO BANAYE RAKHNA KA SAMRTHAK AB BHI TARK DETA HE TO ME USE SHATRATHA KI KHULI CHUNOTI DETA HU . KHER JANE DIJIYE MUJHE HINDI SHUDHTAVADIYO PAR BHI KHIJH AATI HE .JO HINDI ME ANUVAD KARTE SAMYA OR PATHYPUSTKE LIKHTE SAMYA KOSTHAK MRE ENGLISH SHABD NAHI LIKHTE .JO SHABD ADHIK PARCHKLIT NAHI HE YA JINKE LIYEABHI SHABD SUSTHIR NAHI HUEE HE UNKE ENGLISH SHABD PATHK KE BODH KO BADHTE HE .JESE RELVE ME SHIKAYAT KI JAGAH PARIVAAD LKIKHA JAN BEVKUFI HE . MERA NIJI ANUBHAV HE KI HINDI KA APMAN HINDI VALE JYADA KARTE HE VO NAHI JINHE ACHHE TARH SE ANGREJI AATI HE .APNE HASTAKSHAR BHI ENGLISH ME KARTE HE FIR HINDI KA RONA ROTE HE .MERA YE POST ANGREGI ME LIKHNE KI VAJAH IS POST KO JYADA SE JYADA PATHKO TAK PHUCHNA HE .SAMSYA YAH HE KI NAYE PRAYOGKARTAO KE PAS HINDI ME POST DISPLAY NAHI HO PATI .BALGGAR BANDHUOO ORKUT KA JAMKAR PARYOG KARE OR NAYE PATHKO VA LEKHKO KO JODE . ISLIYE KABHI KABHAR KOI AK LEKH ROMAN LIPI ME BHI LIKH DE YA KISI BHOOT ACHEE LEKH KO ROMAN ME LIKH KAR COPY-PEST KAR FORWARD KARE . DHNYAVAAD . ROMAN ME LIKHN E KE LIYE MAFI CHHTA HU . KARPYA IS AADHAR PAR MUJHE NARAN SE BNAHISKART NA KARE . ABHI GHAR SE DOOR CEFE SE BETHKAR LIKH RAHA HU . SHEEGRA HI HINDI ME LIKHUNGA .
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4/29/2007
हिम्मत करने वालो की हर नहीं होती
लहरों से डर कर नौका पार नही होती
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती॥नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है,
दीवरों पर सौ बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस बनता है,
कर गिरना, गिर कर चढ़ना ना अखरता
उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती॥
डुबकियाँ सिँधु में गोता-खोर लगता है,
जा-जा कर खाली हाथ लौट आता है।
मिलते ना सहज ही मोती पानी में
बहता दूना उत्साह इसी हैरानी में।
मुठ्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती॥
असफलता एक चुनौती है
स्वीकार करो,क्या कमी रह गयी
देखो और सुधार करो
।जब तक ना सफल हो, नींद चैन की त्यागो तुम
संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम
कुछ किये बिना ही जय-जयकार नहीं होती,
हिम्मत करने वालों की हार नहीं होती॥ (हरिवंश राय बच्चन )
4/27/2007
CAT---hindi me paper kyo nahi
cat ka paper hindi me nahi hota ---------kyo hona chhiye ?1 agar ho gaya to english padhe likhe 5-7 persent logio ki jagah baki log nahi bhar jayenge .beman log tark dete he ki ---hind me cat i study kese hogi .mera manana he ki jab medical ka paper hindi me dekar puri study jab english me hoti he to isme kyadeekat he .pareshaani ye he ki .bemaan logo ne beemani bhare tark de dekar gyan par apna kabja bana rakhaa he . varna compitition badh jayega . samsya ye he ki english padhne me dikkat nahi he par pahle emplyment ki shoyrity to ho .jese medical me akbaar hindi se fight karne ke baad bhi shayad hi koi fail hota ho . thdi 3-6 mahine tak pareshani jaroor aati he . beeman log resarvation or samajik naya par bahas kar rahe he . koi to yaar supreem court me yachika dayar karo is ichar ko aage badhoo . mene jaldbaji me likha he par ise farword kare taki . yogyta ki fotbaal se arjun singh ko khel ka fayda milne ki baja vastav me parteebhashali logo ka bhala ho . hume to yaar apnekaam layak a jati he . lakin baki logo ka kya .
sher
mehfuz rakho sitaron ko aankho mei apni,bahut dur tak raat hi raat hogi,musafir hai hum bhi musafir ho tum bhi,kahi na kahi to mulakaat hogi
4/22/2007
talaash---swarachit nahi keval sangrahit
इतने दोस्तो मे भी एक दोस्त की तलाश है मुझे .इतने अपनो मे भी एक अपने की प्यास है मुझे .छोड आता है हर कोइ समन्दर के बीच मुझे .अब डूब रहा हु तो एक सािहल की तलाश है मुझे. लडना चाहता हु इन अन्धेरो के गमो से .बस एक शमा के उजाले की तलाश है मुझे .तग आ चुका हु इस बेवक्त की मौत से मै. अब एक हसीन िजन्द्गी की तलाश है मुझे .दीवना हु मै सब यही कह कर सताते है मुझे.जो मुझे समझ सके उस शख्श की तलाश है मुझे
2/28/2007
ताजमहल ? प्रेम का प्रतीक या क्रुरता का
विश्व के महान आश्चर्यो मे एक माना जाने वाला ताजमहल अपने अप्रतीम सोन्दर्य के कारण जग प्रसिद्ध हे .स्थापत्य कला कि द्र्स्टी से तो बात टीक हे लेकिन इसे प्रेम का प्रतीक बताना अतार्किक हे .कारण पहली बात तो इसका श्रेय उस्ताद ईसा व एक अन्य वास्तुकार(नाम ध्यान नहि आ रहा )को दिया जाना चाहिये .दुसरे ताजमहल पर लगी सुच्नाओ मे इन्का उल्लेख ना के बराबर हे .ये बात तो परेटो नाम के समाजशास्त्री ने सही कही हे कि-- इतिहास अभिजन या कुलीन वर्गो का शमशान हे .खेर ये तो सामान्य विशेसता हे . हमारे राजस्थान मे भी अप्ने पुर्वजो कि बेगार से महल किले खडे करवाने वाले राजाओ के निस्पश इतिहास लेखन से भी लोगो की भवनाये आहत हो जाती हे .मुल बात ताजमहल के बारे मे की वह प्रेम का प्रतीक न होकर क्रुरता का प्रतीक क्यो हे -- पहली बात बनवाया शाहजहा ने लेकिन अपने धन से नही बनवाया जनता के जमा धन से बने राजकोश से बन्वाया .दुसरे जब्रन मजुरी यानी बेगार करवायी गयी .तीसरे उसने निर्माण पुरा होने पर कारीगरो के हाथ काट दिये ताकि कोइ दुबारा एसी इमारत ना बनवा सके हालाकि मुझे इतिहास कि ज्यादा जान्कारी नही हे .हो ्सकता हे इतिहास वेत्ताओ की नजर मे इस घटना की प्रामाणीकता सन्दिग्ध हो .फ़िर भी ये एक जाना माना तथ्य हे .एक दरश्टी से तो ये लग्ता हे की एक महान बाद्शाह शाहजहा ने अपनी म्रत प्रेयसी मुमताज कि याद मे बडे प्रयत्नो से बनवाया .लेकिन मेरे द्रस्टीकोण से --अप्नी म्रत बीवी के लिये शान दार इमारत बन्वाना ओर फ़िर कई सो निर्दोश करीगरो के हाथ काट देना प्रेम का नहि क्रुरता का परिचायक हे .दर असअल यह व्यक्ति के अव्चेतन मे छुपी प्रसिधी व मह्त्वाकान्शा कि लालसा का परिचायक हे .कल को किसी कि बिवी या प्रेमिका या बिवी करवा चोथ पर नोलखा हार या कान्जीवरम की साडी मान्गे वो किसि कि जेब काट्कर या रिश्वत लेकर उसे पुरा कर दे वहा तक तो प्रेम माना जा सकता हे .लेकिन अगर किसि को मारकर लूट कर धन हासिल किया जाये तो क्या इसे प्यार कहेन्गे टीक एसे ही जिस इमारत के दामन पर इत्ने खुन के छीटे हो उसे प्रेम ्प्रतीक कह्ते शर्म क्यो नहि आनि चाहिये .जिस राजा ने अपनी म्रत बीवी के लिये बेगुनाहो को उ्नके हुनर कि सजा दी क्या वह एक प्रेमी ह्र्दय होगा .प्रेम मे तो कोम्लता ओर निश्चल्ता होती हे .अगर शाहजहा मे होति तो वो भी जफ़र या गालिब कि तरह शायर होते .लेकिन शाहजहा को तो सिर्फ़ पत्थरो से ही प्या र था.मेरा उद्देश्य शाहजहा की आलोचना करना नही हे .न ही मुझे पुरे मुस्लिम इतिहास मे खोट ेही खोट नजर आता हे ओर हिन्दु राजाओ मे अछ्छाईया ही अछ्छाईया .ना ही मे कोइ मार्क्स का तिमिर पुत्र (नेबुर ने कहा हे )हु जिसे हर चीज मे पुन्जीपतियो का शड्यन्त्र नजर आता हे ओर समाधान सरकार की भुमिका बडाकर ्सरकारी नोकरो व सत्ता के दलालो की तोन्द फ़ुलाने मे मे कोइ नयी बात नही कह रहा हु .इतिहास मे निम्न वर्गो (सबाल्टर्न एप्रोच) की भुमिका पर कही कोइ पर्काश नही दला जाता .निम्न वर्ग यानि कि जिन्को समाज हमेशा हाशिये पर रखता हे --गरीब,मजदुर,चरवाहे,वेश्याए,हिजडे,अपराधी आदी .अगर इन लोगो को यानि मज्दुरो ओर वास्तुकारो तथा सामान्य जन्ता को ध्यान मे रखा जाये तो ये उस समय मे भी बहुत बडी धन धनराशि (आज के करोडो मे )का अप्व्यय तथा कई सो निदोशो की विकलान्गता व बेगारी का का्रण बना .बचपन मे कही सुभाश चन्द्र बोस से का ताज्महल से जुडा सन्स्मरण कही पडा था . उन्की क्लास मे अध्यापक महोदय ने सब्को ताज्महल पर एक निबन्ध लिखने को कहा .उन्होने मात्र एक पक्ति लिखी ओर उटकर चले गये .उन्हे स्बसे ज्यादा नम्बर मिले .उन्होने जो लिखा उअसका भाव यो था -- उपर से बहुत खुबसुरत सी दीखने वाली ये इमारत ना जाने कितने बेगुनाहो के खुन से रन्गी हे . .....मे ले्ख मे दी गई घटनाओ कि प्रामाणीकता का दावा नही करता .्प्र्स्तुत उदाहरण भी मेरी जिर्ण -शीर्ण स्मर्ति पर आधारित हे . अगर लेख से सम्न्धित कोइ ग्यानवर्धक तथ्य य तर्क हो तो उन्का स्वागत हे .
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सुभास
2/27/2007
प्यार-शादी-विग्यापन----गिरते मानवीय मुल्य.
शादी का रास्टीय समारोह------ अभीसेक ओर एश की ----प्यार कि आधुनिक परीभासा .स्त्री सफ़लता डूण्ड्ती हे जबकी पुरुश सुन्दरता .एश ओर अभि के प्यार कि शुरुआत रीफ़्युजी फ़िल्म से हुई .हा हा बीच मे अभि सफ़ल नहि हुआ . एश एक आम ज्यादा समझदार लड्की की तरह प्यार भी करना चाहती थी ओर शादी भी, साथ ही पति सीधा-साधा ओर सफ़लता साथ मे हो तो बल्ले बल्ले . अभि नही चला तो सल्मान से शुरु फ़िर लगा कि ये तो मुझे बान्ध लेगा ओर आगे इसकी सफ़लता कि समभावनाये कम हे तो दुसरे से चिपको .दम हुई हीट साथ मे अपने विवेक भाई थोडे नेकदील भी हे ,आगे हो सकता हे सुपर स्टार बन जाये - तो उनसे प्यार शुरु . हा हा .सल्लु नाराज तो विवेक से बोले दात तोड दुन्गा. विवेक बेचारा शायद जानता नही था कि कुछ लोगो के लिये इन्सानी रिश्ते भी नफ़ा--नुक्सान से ज्यादा नही होते . वो शायद भुल गया था कि शोशन ओर मुनाफ़ जिस दुनिया काउसुल हे वहा भावनाओ कि फ़िक्र कोन करता हे.फ़िर विवेक फ़्लाप तो प्यार भी खत्म . ह ह गुड ना .अब अभि सहब धीरे धीरे सफ़ल तो प्यार शुरु .फ़िर शादी. जबर्दस्ती हाइप ताकि दोनो कि जोडी वाली फ़िल्मे सफ़ल हो . मीडीया मे बच्चन परिवार के मित्रो की कमी थोडी हे.वेसे भी आजकल खब्रे कम विग्यापन ज्यादा होते हे .च्युन्गम के उपर भूत शोध हो रहे हे कि इसे चबाने से स्म्रति बड्ती हे.कसरत करने से आदमी दिमाग से पेदल हो जाता हे .ताकि चुयुन्गम ज्यादा बिके . आज बजार वस्तुओ का नही छ्वी का विकरय करता हे.इसी तरह इन्सानी रिश्तो ओर नितानत निजी चीजो को भी उचला जाता हे ताकि बिना पेसे दिये ही चटपटी खबर के रूप मे जोडी पर्सिध हो जाये.यह आमिताभ सहब के वेयक्त्तव का पतन ही हे .घाटे से उब्ररने के लिये जिस तरह अमर सिन्ह जेसे लोगो के हाथो ब्लेक्मेल हो रहे हे .कुछ दिन पहले गुरु मे आभिशेक कि भुमिका के लिये उन्होने धर्तरास्त्र्ट कि तरह कहा कि अभिशेक ने अमिताभ को हरा दिया हे .अमिताभ ओर लता जी अतुल्नीय वयेक्तित्व हे.खेर शायद साल दो साल मे इस कहनी का अन्त भी मुझे ही लिख्नना पडेगा . अभि पर दया आ रहि हे .ओर एश कि सोच पर भि .........दोड जिन्द्ग्गी की तु भी दोड मे भी दो्ड रहा ह .बेचारा अभि ओर उनके पिता श्री अमिताभ जो अमर सिन्ग के अह्सानो तले दबे हे .कभी ये खबर भी उडी थी कि अमर सिन्ह एश से किस् चाहते थे . बकवास करते हे लोग .अमर सिन्घ जि तो अब उन्के ससुर के समान हे .ये मत समझईये कि मुझे महिलाओ पर सिर्फ़ कीचड उछालना आता हे . या मे उन्की सुन्दरता से जल्ता हु . या मे गलि के अवारा लडके कि तरह खुद से लदकी नही पटने पर उसे चालु घोशित कर रहा हु.ना हि मे आफ़िस के किसि पुरुस करमचारी कि तरह हु जो हर महिला करमचारी कि प्रोन्नति पर उस्के नाजायज सम्बन्धो कि अफ़्वाह उछाल देता हे .मुझे तो बस इतनी शिकायत हे कि अगर इसे सच्चे प्यार कि तरह बत्लाते हे.टीक वेसे हि जेसे आमिर खन ने घर से भगाकर शादी करने के १८ साल बाद अपनी बीवी को छोड दिया .बेचारी ने कभी अपने केरीयर के बारे मे नहि सोचा .अब उसे जिन्दगी भर इस पह्चान के साथ जीना पडेगा.शायद वो कभी आत्महत्या ही कर ले.एसे आदमी की पीडा की को आसानी से मह्सुस नहि किया जा सकता .सफ़ल लोगो को ज्यादा प्यार होता हे. १८ साल मे आमिर कि बिवि को किसि से प्यार क्यो नही हुआ .शायद इस्लिये कि उसे इस्का अन्जाम पता था . अगर उन्हे किसि से प्यार हो जाता तो क्या आमिर उसे इत्नी आसानी से छोड देते.मीडीया तब उन्के प्यार को लेकर बहस नही करता.खेर यक्तिगत स्वतन्त्रता का तो मे भी घोर समर्थक हु.किसि कि पर्सनल लाइफ़ पर टीका टीप्पणी भी मुझे पसन्द नहि हे .क्योकि एसे मामलो मे सच्चाई सिर्फ़ यक्तिगत ही होति हे .पर इसी तर्क के बहाने तो पुरुश केनिद्र्त समाज महीलाओ पर अत्याचार करता आ रहा हे .ये हमारा घरेलु मामला हे तुम कोन होते हो दखल देने वाले?पर जहा अन्याय हो उस पर चुप रहना कायरता हे . इसीलिये तो नारीवादी चिन्तको को आवाज लगानी पडी पर्सनल इज पोलिटीकल .अर्थात पारिवारिक या यक्तीगत जीवन से जुडे मसले सर्वजनिक वाद -विवाद का विसय हे.राज्य नागरिको के हित मे इन पर कानुन बना सकता हे.क्योकि ये मसले पहीलओ के पर्ती भेदभाव पुर्ण हे. सेलिब्र्टज की खिचाइ इस्लिये क्योकि इन्हे मुफ़त मे अप्ने उल जुलुल कारनामो के लिये पर्सिधी मिल्ती हे तथा सामान्य जनता विशेसकर युवा वर्ग इन्हे अपना रोल माडल मानता हे.तो फ़िर इन्की आलोचना क्यो नहि.अब अगर भारत की हर लडकी एश्वर्या जेसी सोच कि हो जाये तो मुझे जिन्दगी अकेले हि काटनी पदेगी.नाना पाटेकर कि तरह .प्यार मे धोखा खाये लोग कभी विस्वास नही कर पाते कि कोइ उन्से सच्चा प्यार भि कर सकता हे?वेसे मुझे तो दर्द तब होता हे जब लोग इसे प्यार कह्ते हे .वरना क्या काजोल--अजय,जावेद--शबाना जी जेसी जोडीया भी तो हे . प्यार मे कमिटमेन्ट ना हो तो वो केसे अवसर्वादिता मे बदल जाता हे .एश्वर्या के तेजी से बद्लते सम्बन्ध ओर अभि से विवाह ओर विवाह क सस्पेन्स क्रीयेट कर फ़ेमस होना ओर उस फ़ेमेसिटी का अप्नी रीलिज होने वालि फ़िल्मो कि तारीखो से ताल्मेल बेटाना .गिरते मान्वीय मुल्यो कि कहानी हे .अवसरवादिता का उदाहरण हे ना कि कि किसि सच्चे प्रेमी युगल के विवाह का जिस पर सब लोग खुश हो.केसा ये प्यार हे ?जमाना बदल गया हे दोस्त अब तुम भी बदल जाओ.नही मे नही बदलुन्गा.तो फ़िर तेयार रहो--दिल उसी का टुटता हे जिसका कसूर नही होता.प्यार की नयी परिभाशा .स्त्री सफ़लता डून्ड्ती हे --पुरुस सुन्दरता .वेसे मुझे लगता हे .आजकल लड्के ज्यादा इमोशनल होते हे .लड्कीया ज्यादा स्मझदार होती हे .एश्वर्या के तेजी से बद्लते प्रेमी इसका सटीक उदाहरण हे. प्रेमचन्द ने सटीक लिखा हे .---पुरुस मे स्त्री के गुण आ जाये तो पुरुस सन्त बन जाता हे ओर स्त्री मे अगर पुरुस के गुण आ जाये तो स्त्री कु्ल्टा बन जाती हे .वेसे मे कुलटा ..जेसी धारणाओ का सखत विरोधी हु.क्योक ये एकतरफ़ा महिलाओ के लिये ही हे पुरुसो के लिये एसे कोइ शब्द ही नहि हे .अब तो खेर योन व्यवहार नेतिकता का अन्श हे यह भी विवादास्पद हे .लेकिन फ़िर भी ओशो जेसे क्रान्तिका्री विचारक ने यह बात मानी हे कि नारीवा द महीलाओ को पुरुश बना देना चाहता हे .इस्से दोनो के बीच का आकर्श्ण व परेम का माधुर्य कम हो जाता हे .खेर बाकि आप पर.......
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बुन्दो से बना हुआ छोटा सा समन्दर लहरो से भीगती छोटी सी बस्ती .चल डुन्डे बारिश मे बचपन का साहिल .हाथ मे लेकर कागज की कश्ती .
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2/21/2007
जिन्दगी--केरियर/वर्तमान --भविश्य कि दुविधा?????????
जिस बात पर आज्कल लोग ज्यादा जोर दे रहे हे वो हे आज मे जीना.हर पल जीना पुरी शिददत के साथ.हर पलको जी्ना पुरे स्वीकार भाव के साथ.क्योकि जीवन इन्ही चोटे चोटे पलो ,शनो को मिला कर बनता हे . जिन्दगी को जीना ओर पुरी ईमान्दारी के साथ?क्या ये सम््भव हे?मेरी समझ मे इसमे इतनी इमान्दारी वाली बात नही हे .आजकल की पीडी इस आज ओर कल के दन्द मे उलझी हुई हे.सिर्फ़ आज मे जीओगे तो केरीयर की चिन्ता कोन करेगा.फ़ल की चिन्ता किये बिना कर्म करते जाने की बात गीता मे वर्त्मान को परिशर्म कि आग मे झोक देने ओर कल के सुखद भविश्य को आज के साथ जीते हुए प्राप्त कर्ने क लिये ही कही गई हे.जो बात जो बात आज सब कर रहे हे वो आज मे जीने की बात हे. पर मेरि सम्झ मे ये अधुरा दर्शन भी हे ओर खतरनाक भी.मेरी समझ मे कल के साथ साथ आज को जीने कि सोच बेहतर हे . दरअसल आज मे जीने का मत्लब ही यही हे की तुम अभि जो कर रहे हो उसमे दूब जओ.अपने ्कार्य को पुरी लगन ओर समर्पन से पुरा करो.कुल मि्ला कर जो काम आप करते हे उसी मे आन्द ले.चहे वो अद्ययन हो या डान्स.युव सामन्यत आज मे जीन ्का मतलब --मस्ती,डान्स,सेक्स,पाट्री,..फ़लर्टिन्गे एक से ज्यदा प्रेम सम्बन्ध,से ही लेते -हे .मे कोइ बुडा नही हु जो इन सब बातो पर कोइ उप्देश दे रहा हु.न ही कोइ पर्म्परावादी हु जिन्हे लग्ता हे की इन लड्कियो ने छोटे छोटे कपडॆ पहन्कर सारी सभ्यता ओर सन्स्कर्ती का नाश कर दिया. पशिम कि ्बार्बी गुदिया को कपडे पह्नने से इस्लाम कि रक्शा हो जायेगी.तभी तो पकिस्तान मे हदुद ला के तहत ब्लत्कार कि शिकार महीला को चार पुरुश गवाह न मिल्ने कुल्टा तहराकर जेल मे सदने कए लइये दाल डिया जता था. अभि हालही मे य ह कानुन रद्द हुआ हे.मुस्लिम कह सकते हे कि आप हमारी ओरतो के पीचे क्यो पडे हे.यहि तो सम्स्या हे--हमारी ओरते तुम्हारी ओरते.मानो ओरते इन्सानह ही नही हे?अगर हे तो उन्के बारे मे सोच्ने ओर बोल्ने क हक हर किसी को हे.अप्ने देश ्भारत मे भी पुरुशो को छोड्कर महीलाओ की भी कमी नही हे जो सोच्ती ओर की बार बोल्ती भी हे की ब्डते बलत्कारो की वजह---लद्कियो के भड्काउ कपडे हे.पित्र्सतवाद के सन्स्कार कित्अने गहरे तक घुसे हुए होते हे.कितना बीईमानी भरा तर्क हे.इस्का सीधा मत्लब हे की अगर तुम असे कप्दे पहन्कर बाहर निकल्ती हो तो किसि भी पुरुश को तुम्हरे साथ बलात्कार करअने क अधिकार हे?????मफ़ किजिये मे लिख्तेलिख्ते भटक ज ता हु. मन मे दब गुस्सा भ्हर आ जता हे .ह ह i m not female .मेतो २६ साल का मन्मोजी तन्द्रुस्त नोजवान हु.ह तोमु लबात प र आते .आज मे जीने की बात .सम्स्या का समधान तो गान्धी जी ने बहुत पहले ही दे दिया था .------जियो तो एसे जेसे कल ही हो अन्त सीखो तो एसे जेसे जीवन हो अनन्त.
1/31/2007
how i write in hindi?
मे बहूत दिनो से ब्लोग लिखने कि कोशिश कर रह हू.ये ब्लोगेर माइकोसोफ़ट वर्द से हिन्दि मे लिखे हउए को पेस्ट्कर्ने पर एन्ग्लिश क्य्प दिख रह हे .असा हि आइना पर हो रह हे .ओ गोद
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