5/07/2007

एक पक्षीय कानून ?दहेज़ घरेलू हिंसा .

मेरा अक मित्र पुलिस मे कॉन्स्टेबल हे उसने बताया कि दहेज़ मे दर्ज़ होने वाले ७० पर्तिशत मामले झूठे होते हे .वास्तविक रुप से पिउदित महिलाये तो अभी भी कनुना का फायदा नही ले [प रही हे उल्टे ससुराल वाले थोड़ी भी कहा सुनी होने पर या तलाक के लिए उइसका इस्तेमाल करते हे .बस अफ ई र दर्ज़ कराने कि देर हे ओर फिर सरे घर के अन्दर छे भुदी सास हो या जवान ननद -----क्या वो महिलाये नही हे ..समय के हिसाब से कुछ तो बदलाव किये ही जाने कहिये जेसे पडोसियों ओर ससुराल पक्ष के रिश्तेदारो को भी गवाह समन हो तब गिरफ्तारी हो वो भी केवल पुरुष सदस्यों कि .मे भी पहले महिलाओ को भूत सहानुभूति के साथ देखता था पर अब लगता हे बव्नाओ मे बहे बिना सत्य का पता लगाकर ही मत यकता करना चहिये ....हलाकि इसका उलटा पक्ष भी सत्य हे पर आज भी इसका दुरूपयोग ही हो रह हे सादुप्योग नही .यही हाल घरेलू हिंसा का होने जा रह हे .जिनके भी पति इअस या बडे पदो पर आमिर हे उनकी पत्निया तलक के लिए या अपने अवेधा संबंधो के पकड़े जाने पर इसका सहारा ले रही हे .अब रस्ते च्ल्त्वे अगर कोई लडकी मुझ पर आरोप लगाए कि वो मेरी पेरिमिका रही हे लिहाजा उसे उसका हक दिलाया जाये तो सबकुछ फिर उस लडकी कि मर्जी से ही होगा । अब गाव के राम्पर्साद कि बीवी तो अपने शराबी पति के खिलाफ रपट लिखने से रही .कुल मिलाकर ना तो हर स्त्री देवता हे ना ही हर पुरुष राक्षस हे । अब सूना हे बल विवाह पर दो साल कि कद ओर २०००० जुर्माना करने का विचार हे । हां हां सम्म्स्य का समाधान करने किससे बेहतर तरीका ओर क्या हो सकता हे जेसे गरीबी नही मिटी तो क्या हुआ गरीब ही मिटा दो ..वेसे ही ये कानून पुक्लिस वालो के लिए लूटने का लिसेंसा बन जायेगा इसमे कोई शक कि बात नही हे .अभी मेरे शर कि एक खबर ने मुझे ही विचलित कर दिया ----एक पति ने गुसे मे अपनी पत्नी को रात भर धोवाने (कपडे कुइताने का बात जेसा डंडा ) कि वो मर गी पित्पित्ते समय उसकी चोटी सी बेटी ने बाप के पान्वो मे लिपटकर माँ को ना मरने कि अपील कि लेकिन उस शेतान का दिल नही पसीजा .उसे शक था कि उसकी पत्नी के किसी से अवेधा संबंध थे .अगर ये सच हो तो भी किसी को इस तरह तो नही मारा जा सकता । क्या घरेलू हिंसा कानून इस तरह कि घटनाओ को रोक पायेगा जाहिर हे इउस तरह के कानून बंब्वा कर वूमेन अच्तिविस्त इसका सेहरा अपने सिर बंधय्न्गी ओर आसी ओरते आसे ही मरती रहन्गी । क्याफिर इस बहस को ख़त्म कर दिया जाएगा मनो अब कोई ह्गारेव्लू हिंसा का मामला ही ना होता हो .तो आप बाल विवाह कानून के लिए तैयार रहे । । कही सैकार का हाल आपत्कात के इंदिरा कि तरह ना हो जाये .....

1 टिप्पणी:

हरिराम ने कहा…

जमाना बदल रहा है, अब लड़की वाले दहेज लेने लगे हैं... ऊपर से दादागिरी अलग...