7/31/2009

आरक्षण

सामाजिक न्याय के दो मनको मानको मे विरोध हो तो उस मानक को अपनाना चाहिए जिससे समाज का ज्यादा भला हो । आरक्षण देते समय उसका पड़ विशेष और कर्तव्यों की डरती से भी अवलोकन करना चाहिए । मान लीजिये विधवाओं और विकालान्गोकोआरक्षण देना सामाजिक न्याय के अनुरूप हे। यदि कही दसवी पढाने के लिए शिषको की भरती हो और विधवा उमीदवार की कट ऑफ़ बहुत नीचे जाए आरक्षण की वजः से १०० मे से २० पर ही चयन हो जाए । तो विधवा के साथ तो न्याय हो जाए गा पर उन बचू के साथ न्याय हुआ जिन्हें वो पधाएगी । क्या सरकारी स्कुल मे पढ़ने का मतलब आरक्षण प्राप्त जातीय टीचर से पढ़ना हुआ। इसमे उस पड़ विशेष पर कार्य करने वाले की सेवाओ का लाभउठाने वाले समूह का भी ध्यान रखना चाहिए। आपदा पर्बंधन मे यदि विलांगो को आरक्षण देकर नियुक्ति दी जाए तो क्या ये उचित होगा । इसका पुरे समज आर पड़ने वाले समग्र प्रभाव का भी आकलन करना चाहिए.इस समस्या का समाधान या हो सकता हे की आरक्षण देते समय न्यनतम मानक भी निशिचत करने चाहिए उनसे अधिक विचलन कोस्वीकार नही करना चाहिए .अन्यथा समग्र रूप मे ये सामाजिक अन्याय का एक उपकरण सिद्ध होगा।