4/22/2007

talaash---swarachit nahi keval sangrahit

इतने दोस्तो मे भी एक दोस्त की तलाश है मुझे .इतने अपनो मे भी एक अपने की प्यास है मुझे .छोड आता है हर कोइ समन्दर के बीच मुझे .अब डूब रहा हु तो एक सािहल की तलाश है मुझे. लडना चाहता हु इन अन्धेरो के गमो से .बस एक शमा के उजाले की तलाश है मुझे .तग आ चुका हु इस बेवक्त की मौत से मै. अब एक हसीन िजन्द्गी की तलाश है मुझे .दीवना हु मै सब यही कह कर सताते है मुझे.जो मुझे समझ सके उस शख्श की तलाश है मुझे

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