5/04/2007
roman me kyo ?meri samsya?
ak ko ijajat denge to kal 10 or aa jayenge .. to kya ye achhe baat nahi hogi . halki narad ke bajaya ase logo ke liye ak alag manch banaya jana chhiye . 1--1./2 saal se net use kar raha hu hindi me likhne me samarth nahi tha to 6 mah ta k kuch likha hi nahi . fir ghar par net liya to jese tese likhna shuru kiya . abhi sekha bhi nahi tha ki mera p c khraab ho gaya .samyabhav or dhnabhav ke karan abhi tak kharaab hi he .so cefe me jakar kaam chlata hu . blog likhna band hi kar diya tha . fir socha kyo na roman me likh du . pahle do chaar poste angregi me likhi thi to ak post me hi raat se subah ho jati thi . kher ab kefe se . socha ki baraha downlod karke likhu parntu .kefe me har baar naya p c milta he or har ak par downlode to kiya nahi ja sakta . kher meri samsya meri apni samsya he aapki nahi --- kuch dino tak adhyyan me yast onr ke karan 20 may ke bad hi likhna parmbha karunga . tab tak aap chhenge to o r log o ke blag padhkar us par roman me teepnee nahi dunga ......vese mujhe angreji me likhna jyada suvidhajank lagta he kyoki orkut par naye logo ya dosto ko link bejte samya hindi me likha huaa unke p c par display nahi ho pata or ve is or nahi a pate . kher iske liye me apne ak alag blog ka use kar lunga . narad se judne ka fayda ye tha ki ak bada pathk varg mil jata he . kher hindi ko roman me likhne ke liye shama chhta hu . aage se asi galti nahi hogi .narad se nikalne ka shram na kare me khud hi narad par rajisterd blog par roman me nahi likhunga .sheegra hi devnagri me likhunga .ak baar fir galati ke liye mafi chhta hu .vese ak blagger bandhu ne to benaam --- galiya tak beji he . mera apraadha itna bada to nahi he . ishvar unka bhala kare . unki galiya mujhe devnagri me likhne ke sath sath achhe angreji likhne padhne ke liye perit kar rahi he . purane log, purani baaten,purane tark ,purani jid ,purani galiya--mahilaon ko apmanit karne vali, purane to tareeke . naya kuch kabhi hona hi nahi chiye . hum sab jante he . duniya me sabse shrsth hamari sanskarti he . 1800 saal ki gulami -- bhart ka gorav . samndar paar jana paap he ,ahinsa,tark ki anumati nahi he ,duniya me kuch bhi utna bura nahi he jitnaa apne hi dayro me simat jana .
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5 टिप्पणियां:
आपकी व्यथाकथा सुनी. फिर भी करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान. आप अपनी ही बात पर अड़े रहेंगे तो परिवर्तन कैसे संभव होगा. नारद के नियमों के तहत आपको देवनागरी मे हिन्दी लिखनी चाहिए. आपको नारद ने औपचारिक तौर पर भी सूचित किया होगा.
यदि किसी भी तरह की असुविधा हो तो आप मुझे मेल करें. आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हिन्दी में टाइप करने के लिए कई तरह के की-बोर्ड हैं और रोमन हिन्दी की तर्ज पर आप टाइप करते हुए देवनागरी हिन्दी लिख सकते हैं. आप हैरान होंगे किंतु एक बार आप इसे समझ लीजिए. हम तो चाहेंगे कि आप यहां लिखते रहे. शुभकामनाएं.
बन्धु.. आपका यूं आह्त हो जाना, समझा जा सकता है.. आप तो चाह रहे थे कि अपनी लिपि को समुचित आदर दें.. पर परिस्थिति आपके पक्ष में नहीं हैं.. फिर कुछ लोग आपसे गाली गलौज की भाषा में पेश आए.. ऎसे लोगो का आप कुछ नहीं कर सकते वो आप को हर जगह मिल जायेंगे.. रही बात नारद से हटाये जाने की.. वो शायद नीतिगत मामला है.. जो नारद वाले मित्र आपको बतायेंगे..पर आप अपनी सदाशयता को जिलाये रखें.. मेरी आपसे यही प्रार्थना है.. शुभकामनाये आप अपना कम्प्यूटर शीघ्र खरीदें..
अपने ब्लोग की सेटिंग मे जाकर बेसिक वाले ओप्शन मे जायिये । अब सबसे आख़िरी वाले ओप्शन यानी कि शो ट्रांस लिट्रेशन बटन फ़ॉर योर पोस्ट अगर नो है तो उसे यस् कर दीजिए । अब आप रोमन मे लिखेंगे तो वो अपने आप हिंदी मे कनवर्ट हो जाएगा। या फिर आप ये साईट भी इस्तेमाल कर सकते हैं ....http://www.quillpad.com/hindi/
राकेश भाई आपका अपराध कोई नहीं है। आप देवनागरी लिपि में लिखना शुरू करिये। अच्छा लगेगा।
इसे पढ़ना मुश्किल काम है।
यद्यपि यह मुद्दा पुराना हो गया है, फिर भी मैं कुछ कहना चाहता हूं. हिन्दी को रोमन में न लिखने के भावनात्मक नहीं अपितु व्यावहारिक कारण हैं. रोमन में हिन्दी पढना थोडा उटपटांग लगता है, जैसे देवनागरी में अंग्रेजी पढना.लेख के बीच में एक दो लाइन चल जाता है.
और अपनी भाषा को सम्पन्न करने का दक्षिणपंथी राष्ट्रवाद से कोई रिश्ता नहीं है, हिन्दी ही नहीं हर आंचलिक भाषा को बढावा मिलना चाहिए, ताकि सबको अपनी भाषा में संसाधन सुलभ हो सकें. इस कार्य में सहयोग के लिए आपको धन्यवाद्
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