6/06/2007
सच्ची खुशी
खुशी मन का एक भाव हे या फिर चीजो को इकट्ठा करने ओर उपभोग करने ओर स्वामित्व के भव से पेदा होने वाली कोई चीज ?पहले राजा ओर दरबारी रथ पर चलते थे तो बडे खुश होते थे --कि हम दुनिया से कितने आगे ओर विशेशाधिकारो का प्रयोग करने वाले आदमी हे ,भले ही उन्हें रथ का डंडा पकड़ कर हिलते दुलते चलना पडे क्योकि सडक तो उबड़ खाबड़ ही होती थी .बाकी लोग सोचते थे काश मेरे पास भी रथ होता तो कितना अच्छा होता.आज सब लोगो के पास यात्रा करने मे सुविधा कि द्र्श्ती से अच्छे साधन हे फिर भी सब के पास अक कार या बड़ी महंगी कार का सपना हे.ओर लोगो ने उसके प्रपात ना होने तक खुशी को स्थगित कर रखा हे .कार आ जाने कि खुशी भी ज्यादा देर टिकेगी नही क्योकि वो भी एक भव हे .स्वामित्व के भाव से पेदा होने वाली श्निक खुशी hepac
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें