2/11/2008

sharabi

Common lines after people got drunk...1. Tu to Mera bhai hai...2.You know i am not drunk...3. Gaadi mai Chalaunga...5. Tu bura mat manana bhai...6. Mai teri Dil Se Izzat Karta hu...7. Abe bol daal aaj usko, aar yaa paar....8. Aaj saali Chad nahi rahi hai kya bat hai...9. Tu Kya samajh raha hai mujhe chad gayi hai...10. Ye mat samajh ki piye me bol raha hu...11.Abe yaar kahin kam to nahi padegi itnee...12. Chhote, Ek Ek Chhota aur ho Jae...13. Baap ko mat Sikha.14. Yaar magar tune mera dil tod diya...15. Kuchh bhi hai par saala Bhai hai Apna...16. Tu Bolna Bhai, kya chahiye...Jaan chahiye hazir hai ???17.Abe mere ko aaj tak nahi Chadee...shart laga saala aaj tu..18. Chal teri baat karata hoon usse, phone number de uska...19 . Yaar aaj uski bahut yaad aa rahi hai.

1/27/2008

what is love ?

WHAT IS LOVE? A student asks "What is love?" The teacher said,"in order to Ans. your Que., go to the Rose garden and choose the 1 rose and come back. But the rule is: you can go through them only once and cannot turn back to pick." The student went to the garden, go thru 1st row, he saw 1 beautiful rose, but he wonders....may be der is a better 1 later. Then he saw another 1... but may be der is an even beautiful 1 waiting for him. Later, when he finished more than half of the rose garden, he start to realize that the rose is not as beautiful as the previous 1 he saw, he know he has missed the better 1and he regretted. So, he ended up went back to the teacher with empty hand. The teacher told him,.this is love. you keep looking now if u have chance to go in tat Garden wht ll u do

1/12/2008

PRAY

When your life is in darkness pray to god and ask him to free you from darkness If after you pray & still.....in darkness...........Plzzzzzzzzzz pay your ELECTRICITY BILL............ plzzzzzzzzzzzGOOD EVENING

1/11/2008

dost

Arz kiya hai:Phoolon ki har kali khushi de aapko Suraj ki har kiran roshni de aapko hum to kuch dene ke kabil nahi magar dene waala har khushi de aapko.....always be my frnd


pegaam

बहुत दिन हुए वो तूफ़ान नही आया,उस हसीं दोस्त का कोई पैगाम नही आया,सोचा में ही कलाम लिख देता हूँ,उसे अपना हाल- ए- दिल तमाम लिख देता हूँ,ज़माना हुआ मुस्कुराए हुए,आपका हाल सुने... अपना हाल सुनाए हुए,आज आपकी याद आई तो सोचा आवाज़ दे दूं,अपने दोस्त की सलामती की कुछ ख़बर तो ले लूं .......

11/05/2007

dipawali ki shubhkamnaye.

दीपो का ये त्यौहार आपकी जिन्दगी को नयी उर्जा और रौशनी से भर दे .जिसकी चमक और रौशनी आपके आस पास के लोगो के चेहरों पर उमंग भरी मुस्कान के रूप में आप तक वापस लोटे और हर किसी के चरे पर फेलती ही जाये .

10/30/2007

beauty of a women.

The beauty of a womanIs not in the clothes she wearsThe figure she carriesOr the way she combs her hair.The beauty of a womanMust be seen from her eyes,Because that is the doorway to her heart,The place where love resides.The beauty of a woman,Is not in a facial mole,But true beauty in a womanIs reflected in her soul.It is the caring that she lovingly gives,The passion that she shows,The beauty of a womanWith passing years - only grows

10/28/2007

pyar

Phul se kisi ne pucha.Tune di khushbu tujhko kya mila.Phul ne kaha. dene k badle lena to vyapar hai.Jo dekar bhi kuch na mange wahi pyar hai.......

8/02/2007

किरण बेदी

सरकार गूंगी महिला को राष्टपति बनवा कर अम्हिला सशक्तिकरण का नारा पीट रही हे । । ताकी रस्त्पत ई उनके किसी अनुचित कार्य मे भी रोकावत ना डाले । दुसरी ओर किअर्ण बेदी जेसी काबिल इप्स ओफ्फिसर कि सिनियार्ती को नजरअंदाज करके किसी ओर को देल्ही का पुलिस आय्कत बनाना गह्तिया राजनीति का सबूत हे । कॉग्रेस कि यही परेशानी हे । याहा नेतार्ताव भी उलटी सीधे सलाह कारो के हिसाब से काम कर्ता हे खुद अपनी समझ से निर्णय नही लेटा । । राजीव के समय भी शाहबानो को उलटने ओर रांम मंदिर का टला खुलवाने जेसी सलाहे श्री अर्जुन सिंह जेसे नेता ने ही दी थी । जिनके पेट मे आजकल अल्प्संख्य्को के पिच्देपन को लेकर बल पद रहे हे । .pata nahi kis naag ke beej bo rahe he . itihaas 8nhe maaf nahi karegaa .कलाम शब् ने सही कहा हे भारत को कोई महाशक्ति बन्ने से रोक सकता हे तो सिर्फ उसके नेता ही रोक सकते हे ।

देहली मे बसें

अभी हिंदुस्तान पेपर मे डी रजा जो वामपंथी हे का कथन पढ .vo corporet fild ke is फिल्ड मे उतरने कि अनुमति देने के विरोधी हे । पता नही एसे लोग कब सुधरेंगे .दुनिया मे समाजवाद आयेगा या नही । गरीबी मिटेगी या नही .पर इनके विचार कभी बदलने वाले नही हे । भारत को ५० साल तक समाजवाद के नाम पर गरीब बनाए रखने ओर ब्रस्ताचार कि खेती से भी इन्हें अकाल; नही आयी । .समय बदल गया हे । बाजार के मध्यम से भी समाजवाद अ सकता हे अगर आप गरीब को भी उद्यमी बन्ने कि कोशिश करे । .बसो को बर्थ नेताओ के कब्जे मे बनाए रखने के बजाये बरंद आधारित । सस्ती व महंगी बुसू का संचालन ज्यादा उचित होगा । दुर्घत्ने निजी द्रीवारो डरा नही बल्कि एसे अन्त्रेंद चाल्को को दादित ना कर पाने के कारण हे । मुझे याद हे आज से बीस साल पहले मेरे गाव से जीपो कि भी एसी ही किल्लत होती थी । लोग खाते थे जनसंख्या बद रही हे इसलिये एसे ही तहस तहस कर जाओ । अब पता नही क्या हो गया । जीपो वाले घटे मे जा रहे हे । जनसंख्या तो पहले से भी ज्यादा हो गया हे । जाहिर हे लिसेंसे राज के बहोत गलत परिणाम आये हे । इसका फयद आना गरीब जनता को मिला हे ना उपभोक्ज्ताओ को । । cheen me bhi to sudhar ho gayaa he . hum log is samaajvad ke jhute juee ko kab utaar kar fekenge jisme apni pargti ke liye sarkaar ki or muh taakne ki parvarti hoti he . udyamita or apne dum par aage badhne ki nahi .

7/11/2007

छोटू --जोक

एक बार एक शराबी रोज शिव मंदिर जता था .एक दिन किसी ने भगवान शिव कि प्रतिमा हटाकर गणेश जी कि रख दी .शराबी आया बोला --ए छोटू पापा से बोलना मे आया था .

7/10/2007

लडकिया /लड़के -joke

permi perimikaa me nok jhok ho rahi thi .ladke ne kaha ladkiyaa bus ki tarh he chut jaye to gum nahi karnaa chiye . ek chut jaye to dusari mil jati he . is par ladki ne kahaa or ladke auto ki tarha he ek ko bulaoo to chaar chaar chle aate he .he na ha ha

6/22/2007

शेर

Mushkilo se bhag jana aasan hota hai,Har mod par jindgi ka imtahan hota hai,Darne walo ko kuch milta nahi Zindgi mai,Ladne walo k pairo mai Jahan hota hai....

हँसी

वो क्या किसी के होंठो को बाँटेगा कहकहे,घर में भी जिसने बच्चों को हँसने नहीं दिया।

साथ

तेरा कोई साथ ना दे तो खुद से प्रीत जोड़ ले,बिछौना धरती को करके अरे! आसमान ओढ ले

ज़िन्दगी

कुलबुलाती चेतना के लियेसारी सृष्टि निर्जनऔर....कोई जगह ऐसी नहींसपने जहाँ रख दूँ!दृष्टि के पथ में तिमिर हैऔ' हृदय में छटपटाहटजिन्दगी आखिर कहाँ पर फेंक दूँ मैंकहाँ रख दूँ?~~~~~~कवि दुष्यंत कुमार

6/10/2007

मे मर जाउंगा ?(मे खुद नही किसी ओर कि कहानी हे )

कुछ दिनों पहले नेट पर एक लड़के से बात हुई .उसकी उमर १९ साल ओर उसकी प्रेमिका कि उमर १७-१८ .वो कह रह अथ अकी वो उसे सच्चा प्यार करता हे ओर वो भी उसे .मेने कहा मन लो २-४ साल मे उसका या तुम्हारा मन बदल जाये या किसी को कोई ओर पसंद आ जाये तो ? क्योकि उसके अनुसार उसकी प्रेमिका डॉक्टर बन्ने के लिए पढाई करेगी । मेने कहा एसे मे ये संभव हे कि कोई ओर उसके नजदीक आ जाये या एसा तुम्हारे साथ ही हो जाये । उसने कहा कि अगर उसने कभी बेवफाई कि तो वो आत्महत्या कर लेगा .उसके हिसाब से सच्चे प्यारका यही मतलब हे .मेने कह आ यार जब तुम उसे ओर वो तुम्हे sachhapyar करती हे तो तो तुम्हारे दिमाग मे ये ख़्याल hi kese aaya ki usne dhokhaa diya to? इसका मतलब अभी विस्वास इस हद तक विक्सित नही हुआ । वरना तुम ये कहते कि वो मुझे कभी नही दूर करेगी .वो मेरे बिना जी नही पायेगी .तो थिक हे लेकिन अक ओर तो तुम शक कर रहे हो .दुसरी ओर अभी से निर्णय कर लिया कि आक्त्म्हात्या कर लूंगा । ये प्राकृतिक नही हे.ह प्यार मे जब दिल टूटता हे तो एसे लोगो कि जीन एकी इच्छा ख़त्म हो जती हे .पर पहले से ही एसा निर्णय करना गम्भीर मनोवेग्यानिक समस्या हे .शित्य्कारो फिल्म्वालो को प्यार को गर्वंवी करते समय भी ये ध्यान रखना कहिये । अधिकांश पेर्मी जोडे भी प्यार कि उस पराकाष्ठा तन से गुजर कर आत्म के मिलन तक नही पहुच पाते .ज्यादातर मामलो मे ये सिर्फ एक अची दोस्ती साबित होती हे .पर प्यार का ग्लेमर इतना हे कि हर कोई अपन एआप्को इसमे इन्वाल्व दिखाता हे भले ही वो विकल्पो कि कमी या योंन आकर्षण का ही केजुअल संबंध हो .पर उसे सच्चे प्यार के रुप मे दिखाना ओर उसके लिए मरने मिटने कि भावना रखना गलत हे । ये भाव्नाये .गहन प्यार का अनुभव होने ओर उसके टूट जाने के बाद हो तो कोई बुराई नही लेकिन पहले से ही एसा सोचना अपरिपक्वता हे .अम्नोवेज्ञ्निक भी आईएस बात को स्वीकार रहे हे कि प्यार समाज मे अक बड़ी बुरी बनकर उभर रहा हे इसकी वजह से लोग अपनी थिक ठाक जिन्दगी को छोड़कर अनजानी रहो पर चल रहे हे नतीजा परिवारी विघटन .तलाक । बचू के अलगाव व अकेलेपन के रुप मे निकल रहा हे .मेने उसे लाख समझाया कि अभी आराम से जिन्दगी जीओ .प्यार क आनद लो ज्यादा मत सोचो ना ही दरो .जिन्दगी भर साथ रहने का इरादा एच तो उमर होते होई शादी कर लो .अक्सर लडकिया .तीन AGE मे हुई प्यार को बाद मे अच्छी करियर कि वजह सेठुकारा देती हे । मुझे आज भी उस लडके के शब्द अच्च्ची तरह याद हे ---कि अगर उसने बेवफाई कि तो मे मर जाउंगा .क्योकि सच्चे प्यार का यही मतलब हे .??क्यासछा प्यार हो ना हो लेकिन दुनिय अको दिखने के लिए ही कि मे सच्चा प्यार कर्ता था --आत्महत्या मनोवाग्यानिक बीमारी नही हे प्यार को गोरावान्वित करना तो थिक हे लेकिन प्यार के विभिन पक्षो ओर जीवन मे फली सछईयो को बहार लं आना क्या साहित्यकारो फिल्म्कारो का दायित्व नही हे --मधुर भंडारकर कि तरह ,.अगर उस लाद्क एने कभी आत्महत्या कि तो उसकी वजह प्यार नही होगा बल्कि उसकी प्यार के बारे मे एसी समझ होगी जो उसे खुदबनने पर मजबूर कर देगी । जिन्दगी मे अगर वो आगे बढ पाय तो नही मरेगा ओर नही बढ पाया तो अपनी साड़ी अस्फल्ताऊ से उत्पन्न निरर्थकता बोध को किनारे रखकर प्यार मे दिल टूटने को इसकी वजह मने गा ओर मर्त्यु का वर्ण करेगा .हना सच्चा प्यार ?आत्महत्या ओर समझा का फर्का .अगर कोई आत्महत्या ना करे तो इसका मतलब हे कि वो सच्चा प्यार नही नही कर्ता। आये दिन लड़को द्वारा खुद को आग लगाने या अक्प्क्शिया प्यार मे मरने कि खबरे आती रहती हे .जाहिर हे प्यार का यथार्थवादी दर्श्ती से विश्लेषण का आभाव हे ..अगर आपको भी कोई लड़का या लडकी से प्यार हो जाये ओर बाद मे संबंध टूट ज्ये तो आप भी आईएस एसछा प्यार का नाम देकर मर्त्यु के बाद भी पर्सिधा हो सकते हे .कितना नीच हे आदमी आत्महत्या मे भी आएदेंतिती दून्धता हे .जीती जी ना शै मरने के बाद ही पर्सिध हो जाये.मेरी समझ मे तो जिन्दगी से बड़ी कोपी चीज नही । सछ एप्यार के नाम पर आत्न्ह्त्या का विचार रखना खुद के प्रति बेईमानी हे ओर खुच नही ।

हमसफ़र

क्यूं कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नहीहोतासच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होताकोई सह लेता है कोई कह लेता है क्यूँकी ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होताआज अपनो ने ही सीखा दिया हमेयहाँ ठोकर देने वाला हैर पत्थर नही होताक्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे होइसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होताकोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना करख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता!!! कापी पेस्ट करने मे पूर्णविराम ग़ायब हो गया हे .सो शमा करे .

6/06/2007

सच्ची खुशी

खुशी मन का एक भाव हे या फिर चीजो को इकट्ठा करने ओर उपभोग करने ओर स्वामित्व के भव से पेदा होने वाली कोई चीज ?पहले राजा ओर दरबारी रथ पर चलते थे तो बडे खुश होते थे --कि हम दुनिया से कितने आगे ओर विशेशाधिकारो का प्रयोग करने वाले आदमी हे ,भले ही उन्हें रथ का डंडा पकड़ कर हिलते दुलते चलना पडे क्योकि सडक तो उबड़ खाबड़ ही होती थी .बाकी लोग सोचते थे काश मेरे पास भी रथ होता तो कितना अच्छा होता.आज सब लोगो के पास यात्रा करने मे सुविधा कि द्र्श्ती से अच्छे साधन हे फिर भी सब के पास अक कार या बड़ी महंगी कार का सपना हे.ओर लोगो ने उसके प्रपात ना होने तक खुशी को स्थगित कर रखा हे .कार आ जाने कि खुशी भी ज्यादा देर टिकेगी नही क्योकि वो भी एक भव हे .स्वामित्व के भाव से पेदा होने वाली श्निक खुशी hepac

वसंत

अगर आपके पेर कीचड से सने हो ओर आप का दिल सिटी बजाने का करे तो समझो वसंत आ गया .

6/02/2007

माँ ,बेटी,बहन ,पत्नी ----बाप बेटा ,भाई पति

महिलाओ से एसी पकेशाये ओर पुरुषो से नही .दोहरे पर्तिमानो कि सूचक हे .जिस पार्कर पुरुष जीवन भर पुरुष बने रहकर अन्य भिमिकाओ को निभाता हे वेसे स्वतंत्रता स्त्री को प्राप्त नही हे .इन आदर्शो को आरोपण का ही परिणाम हे कि इनसे विचलन अक्श्य्म अपराध समझा जता हे ओर उन्हें कुलटा बेहया ओर जमीन मे गाड़कर पथ्रो से मारने तक कि सजा दी जति रही हे जबकि पुरुषो मे इन आदर्शो का आरोपण ना करके उन्हें इस मामले मे छूट दी जाती रही हे .सवाल ये कि हम स्त्री व पुरुष को अक जेअया क्यो नही मान सकते --- नारी तुम केवल शर्दा हो विस्वास रजत नभ पग तल मे --ओर इससे नीचे उतरी तो मे तुम्हे गला दबाकर मार डालूँगा । हां हां इसका स्वाभाविक परिणाम तो यही हे । ए मानाने मे क्या समस्या हे कि स्तरीय भी पुरुषो कि भाती सिर्फ इन्सान हे भगवान् नही । उन पर अक हद से ज्यादा आदर्शो का आरोपण उनके लिए अन्याय कि पर्स्थ्भुमी तैयार कर्ता हे .वाही बात हे कि जिस दश मे दुर्गा कि पूजा होती हे उसी मे इन्हें पत् मे ही मार दिया जता हे .हलाकि माँ कि भूमिका विशेष हे इसमे ये तर्क लागु नही किया जा सकता । मे भी प्रेमचंद जी ई इस बात को मानता हु कि --एक स्त्री मे अगर पुर्ष के गुन आ जाये तो वह कुलटा हो जति हे लेकिन अगर अक पुरुष मे स्त्री के गुन आ जाये तो वह संत हो जता हे । । फिर भी इन बातो को अक हद से आगे खीचा जाना अन्याय कि पर्स्थ्भुमी तयार कर्ता ह .

अर्धांगिनी

नारीवाद व महिला sashaktikarna को बढावा देने के लिए स्कुलो ओर कालेजो मे होने वाले विमाषा ओर वद्द विवादी ,निबंधो मे जुमले कि तरह दो उदाहरण भूत पेश किये जाते हे .एक तो
अर्धांगिनी
शब्द ,दुसरा यात्रा नारी पुज्यनते राम्नते तत्र देवता का । मेरी समझा मे ये दोनो हमारे गहरे तक शामिल प्त्र्सत्तावादी संसकारो के ही सूचक हे ना कि समानता के ॥ अर्धांगिनी शब्दा अच्छा हे पर ये भी नारी को पुरुष का आधा हिस्सा बताता हे यानी नारी कि याख्या पुरुष के हिस्से के रूप मे कि जाती हे .यानी अगर पुरुष ना हो तो नारी का आस्तिताव ही संभव नही हे क्योकि वो उसका आधा हिस्सा हे .मगर पुरुष के लिए एसा कोई शब्द नही हे कि वो नारी के शरीर का आधा हिस्सा हे । । अता सुच बात तो यही हे कि अर्ध्न्गिनी शब्दा नारी को वस्तु से ऊपर उठाकर अपने अनन्य हिस्से के रूप मे मान्यता देता हे पर फिर भी पुँ समानता का दर्जा नही देता .आत बार इसकी रत लगाना व इसके आगे अपने विच्रो को सम्पेरिशित ना कर पाना जहा शिक्षा मे रत्तेपन का सूचक हे वाही हमारी सोच कि सीमाओ का भी .

5/10/2007

शिक्षा एक पणय॒ वस्तु क्यो नही ?

शिक्षा एक पणय॒ वस्तु हे ओर इसका विक्रय होना ही चाहिऐ .भारत मे शिक्षॉ का मतलब सुच्नाओ कि उलटी भर हे --वय्क्तिताव का विकास नही .सुच्नाओ कि उलटी करने वाले अध्यापक बछो के वेयाक्तिताव को दबाते हे उभरते नही .फिर इसके व्यापार से दर केसा बल्कि इससे शिक्षा को सस्ता बनाने मे मदद मिलेगी .शिक्षा पर कुछ गिने चुने संस्थानों का कब्जा ना होकर पर्तिस्पर्धा व बडे बाजार के कारन ये इतनी सस्ती हो जाये कि हर किसी कि पहुच मे आ सके ओर हर कोई अपने लिए उपयोगी कोर्स कर सके नकी सिर्फ माँ बीए करने के लिय्वे मजबूर राहे .हलाकि निजीकरण ओर बजारिका छतीसगढ़ जेसा नही होना चाहिऐ कि हर कोई दूकान खोलकर बेत जाये बल्कि कर्माश सुधर होना चहिये ओर छात्रो के बच्व के भरसक उपाय होने चाहिऐ ।

स्कुलो मे उपस्थिति ?

अक्सर ये कहा जाता हे कि स्कुलो - कोलेजोमे छात्र उपस्थित नही रहते इसलिये छात्रो के लिए उपस्थिति अनिवार्य होनी चाहिऐ .मेरी समझ मे छात्रो कि नही शिक्षको कि उपस्थिति अनिवार्य किये जाने के पर्यास होने चहिए बेइमानी भरा तर्क हे कि --छात्र कक्षाओ मे नही आते क्या कोई दूकानदार ये तर्क देता हे कि चुकी ग्राहक नही आ रहे इसलिये मे दुकान पर नही रहूंगा .अगर छात्रो के ना आने पर अध्यापको को वेतन ना मिले तो --वो  निजी स्कुलो    के तरह मजबूर हो जायेंगे ।

5/07/2007

एक पक्षीय कानून ?दहेज़ घरेलू हिंसा .

मेरा अक मित्र पुलिस मे कॉन्स्टेबल हे उसने बताया कि दहेज़ मे दर्ज़ होने वाले ७० पर्तिशत मामले झूठे होते हे .वास्तविक रुप से पिउदित महिलाये तो अभी भी कनुना का फायदा नही ले [प रही हे उल्टे ससुराल वाले थोड़ी भी कहा सुनी होने पर या तलाक के लिए उइसका इस्तेमाल करते हे .बस अफ ई र दर्ज़ कराने कि देर हे ओर फिर सरे घर के अन्दर छे भुदी सास हो या जवान ननद -----क्या वो महिलाये नही हे ..समय के हिसाब से कुछ तो बदलाव किये ही जाने कहिये जेसे पडोसियों ओर ससुराल पक्ष के रिश्तेदारो को भी गवाह समन हो तब गिरफ्तारी हो वो भी केवल पुरुष सदस्यों कि .मे भी पहले महिलाओ को भूत सहानुभूति के साथ देखता था पर अब लगता हे बव्नाओ मे बहे बिना सत्य का पता लगाकर ही मत यकता करना चहिये ....हलाकि इसका उलटा पक्ष भी सत्य हे पर आज भी इसका दुरूपयोग ही हो रह हे सादुप्योग नही .यही हाल घरेलू हिंसा का होने जा रह हे .जिनके भी पति इअस या बडे पदो पर आमिर हे उनकी पत्निया तलक के लिए या अपने अवेधा संबंधो के पकड़े जाने पर इसका सहारा ले रही हे .अब रस्ते च्ल्त्वे अगर कोई लडकी मुझ पर आरोप लगाए कि वो मेरी पेरिमिका रही हे लिहाजा उसे उसका हक दिलाया जाये तो सबकुछ फिर उस लडकी कि मर्जी से ही होगा । अब गाव के राम्पर्साद कि बीवी तो अपने शराबी पति के खिलाफ रपट लिखने से रही .कुल मिलाकर ना तो हर स्त्री देवता हे ना ही हर पुरुष राक्षस हे । अब सूना हे बल विवाह पर दो साल कि कद ओर २०००० जुर्माना करने का विचार हे । हां हां सम्म्स्य का समाधान करने किससे बेहतर तरीका ओर क्या हो सकता हे जेसे गरीबी नही मिटी तो क्या हुआ गरीब ही मिटा दो ..वेसे ही ये कानून पुक्लिस वालो के लिए लूटने का लिसेंसा बन जायेगा इसमे कोई शक कि बात नही हे .अभी मेरे शर कि एक खबर ने मुझे ही विचलित कर दिया ----एक पति ने गुसे मे अपनी पत्नी को रात भर धोवाने (कपडे कुइताने का बात जेसा डंडा ) कि वो मर गी पित्पित्ते समय उसकी चोटी सी बेटी ने बाप के पान्वो मे लिपटकर माँ को ना मरने कि अपील कि लेकिन उस शेतान का दिल नही पसीजा .उसे शक था कि उसकी पत्नी के किसी से अवेधा संबंध थे .अगर ये सच हो तो भी किसी को इस तरह तो नही मारा जा सकता । क्या घरेलू हिंसा कानून इस तरह कि घटनाओ को रोक पायेगा जाहिर हे इउस तरह के कानून बंब्वा कर वूमेन अच्तिविस्त इसका सेहरा अपने सिर बंधय्न्गी ओर आसी ओरते आसे ही मरती रहन्गी । क्याफिर इस बहस को ख़त्म कर दिया जाएगा मनो अब कोई ह्गारेव्लू हिंसा का मामला ही ना होता हो .तो आप बाल विवाह कानून के लिए तैयार रहे । । कही सैकार का हाल आपत्कात के इंदिरा कि तरह ना हो जाये .....

हिंदी मे लिखना बहुत आसान

blaaggar के बेसिक मे जाकर transalitariyana मे यस् करे आपके ब्लोग कोम्पोज मे हिंदी वाला बटन. दिखेगा .मुझे तो बजरावाला जी ने हे . नए के लिए सबसे सुविधाजनक ओर बिना झंझट के आप हिंदी मे लिख सकते हे । मेने इसे बरहा से बेहतर पाया हे । एडिटिंग कि सुविधा भी हे .नए लेखको ओर पाठको को सुझाव दे बेतार तो यही हे कि कोई अच्छा तकनिकी लेखक इसके गुनू कि अन्य से तुलना करके ब्लोग लिख दे । शयद किसी ने लिखा भी हो पर मेरी नजर नही पडी वरना मे रोमन मे लिखकर परेशान नही होता । एक बार फिर बजरावाला जी का धन्यवाद ।

5/04/2007

roman me kyo ?meri samsya?

ak ko ijajat denge to kal 10 or aa jayenge .. to kya ye achhe baat nahi hogi . halki narad ke bajaya ase logo ke liye ak alag manch banaya jana chhiye . 1--1./2 saal se net use kar raha hu hindi me likhne me samarth nahi tha to 6 mah ta k kuch likha hi nahi . fir ghar par net liya to jese tese likhna shuru kiya . abhi sekha bhi nahi tha ki mera p c khraab ho gaya .samyabhav or dhnabhav ke karan abhi tak kharaab hi he .so cefe me jakar kaam chlata hu . blog likhna band hi kar diya tha . fir socha kyo na roman me likh du . pahle do chaar poste angregi me likhi thi to ak post me hi raat se subah ho jati thi . kher ab kefe se . socha ki baraha downlod karke likhu parntu .kefe me har baar naya p c milta he or har ak par downlode to kiya nahi ja sakta . kher meri samsya meri apni samsya he aapki nahi --- kuch dino tak adhyyan me yast onr ke karan 20 may ke bad hi likhna parmbha karunga . tab tak aap chhenge to o r log o ke blag padhkar us par roman me teepnee nahi dunga ......vese mujhe angreji me likhna jyada suvidhajank lagta he kyoki orkut par naye logo ya dosto ko link bejte samya hindi me likha huaa unke p c par display nahi ho pata or ve is or nahi a pate . kher iske liye me apne ak alag blog ka use kar lunga . narad se judne ka fayda ye tha ki ak bada pathk varg mil jata he . kher hindi ko roman me likhne ke liye shama chhta hu . aage se asi galti nahi hogi .narad se nikalne ka shram na kare me khud hi narad par rajisterd blog par roman me nahi likhunga .sheegra hi devnagri me likhunga .ak baar fir galati ke liye mafi chhta hu .vese ak blagger bandhu ne to benaam --- galiya tak beji he . mera apraadha itna bada to nahi he . ishvar unka bhala kare . unki galiya mujhe devnagri me likhne ke sath sath achhe angreji likhne padhne ke liye perit kar rahi he . purane log, purani baaten,purane tark ,purani jid ,purani galiya--mahilaon ko apmanit karne vali, purane to tareeke . naya kuch kabhi hona hi nahi chiye . hum sab jante he . duniya me sabse shrsth hamari sanskarti he . 1800 saal ki gulami -- bhart ka gorav . samndar paar jana paap he ,ahinsa,tark ki anumati nahi he ,duniya me kuch bhi utna bura nahi he jitnaa apne hi dayro me simat jana .