4/21/2010

उत्तरपुस्तिकाए दिखाना

मुझे आज तक समझा मे नहीं आया की भारतीय शिक्षा संस्थाओ और लोक सेवा आयोगों को परिक्षर्तियो को उनकी कापी की नक़ल देने मे क्या दिक्कत हें । कुछ पेसे लेकर नकल या ज़ेरोक्स देने से तो brshtaachar ही रुकेगा । एसा लगता हें जेसे उत्तर्पुस्तिकू की नक़ल दे देने से रास्त्र की एकता और अखंडता खतरे मे पद जाएगी .बहुत से लोग आतम हत्या या डिप्रेसन के शिकार हो जाते हें क्योकि वो कभी समझ ही नहीं पते की उनके घटिया नम्बरों का कारण क्या हें .सिब्बल साहब को इस पर भी जोर देना चाहिए। --एक बहुत अछे कोटेशन मे इसे खा जा सकता हें ---की भारत मे हमने पर्तिस्प्रधामुल्क समाज का मानक तो अपना लिया हें पर उनमे पर्दर्शन को मापने वाली संस्थाओ की गुणवत्ता बहुत ही घटिया हें .इसे एसा कहा जा सकता हें की दोद मे जीत का निर्णय करने वाले रेफरी की घडी ही १० मिनट आगे पीछे हें । जहा हार जीत सेकंडो सी तय होती हें .

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

विचारणीय सलाह है.