10/30/2015

पुरस्कार वापसी

पुरस्कार वापसी एक नकली प्रयास की भाति लगती है।  पुरस्कार वापसी के साथ साथ पुरस्कार राशि क्यों नहीं वापस लौटाते ? सरकार चाहे बीजेपी की हो या कांग्रेस  की सब अपने चहेतो  को ही पुरस्कार देते आये है।(अंधा बाते रेवड़ी अपने अपनों को देय ) कभी भलमनसाहत में या यु कह दीजिये पुरस्कारों की थोड़ी इज्जत मिल जाती हे। लोग भर्मित हो जाते हे एक दो सही लोगो को पुरस्कार देने से।  दूसरे भारत की हर संस्था पर लम्बे समय से इन नकली साम्यवादी और उदारवादी लोगो का  कब्जा रहा हे।  अब सत्ता परिवर्तन हुआ हे तो दरबारी भी बदलेंगे।  समझदार राजा पुराने दलालो और चापलूसों को बनाये रखते हे।  मोदी सरकार ये नहीं कर पा रही हे तो इनकी रोजी रोटी  का संकट आन खड़ा हुआ हे।  देश में चारो और शांति हे बस मीडिया की नजर में ही अराजकता  हे।  मीडिया वालो को बस चले तो ये लोगो को आपस में लडवा  दे. ये तो भारत का आम आदमी हे जिसे किसी से धर्मनिरपेकश्ता या शांति प्रियता सीखने  की जरुरत नहीं है क्योकि भारतीय  होने का मतलब ही सहिष्णु और अनेकांतवाद में विश्वास रखने वाला होना हे।