9/26/2009
आतंकवाद एक टेक्निक
कुछ विद्वान आतंकवाद को भी अन्याय से लड़ने की तकनीक मानते हे .मेरा मत हे की एसा कुछ ही मामलों मे सही हो सकता हे .जिन्हें पीड़ित रास्तीयाताये मानकर हिंसा को उचित ठहराया जा सकता हे। पर अल कायदा आतंकवाद -मुस्लिम विश्वव्यापी आतंकवाद को नही । क्योकि उनके पास किसी just सोसाइटी का विचार नही हे.वो तो अपनी कट्टर धार्मिक मान्यताओं के आधार पर शरीयत जेसा देवीय शाषन चहाते हें। uसकी व्याख्या का अधिकार भी उनके पास ही हें .ख़ुद पर शासन करने के अन्य लोगो के अधिकार को भी वे नही मानते .उन्हें अपने अनेतिक कार्यो के लिए अमेरिका की भाति किसी wmd वेपन जेसे मुखोटे की भी जरुरत नही हें । स्पस्ट हें की आतंकवाद का यह रूप ही विश्वशांति के लिए खतरा हें न की अन्य स्थानीय पक्र्ती के आन्दोलन .और इसे किसी भी आधार पर justify नही किया जा सकता .इसे उचित ठहराना इसमे व अन्य जायज हिसात्मक आंदोलनों मे फर्क न कर पाने के कारण हें । मार्क्सवादी चश्मे से तो ख़ुद को मारने आया किक्लर भी सामाजिक परिस्थीथीका उत्पाद नजर आता हें .
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