3/20/2008
जिन्दगी--चाय का एक कप हे
जिन्दगी चाय के एक कप की तरह ही . ज्यादा जल्दी करने पर जलने का खतरा रहता हे देर करने पर पीने मे मजा नही आयेगा . ठंडी हो जायेगी .हमेशा कप को ही ज्यदा कस कर पकडोगे तो चाय कि क्वलिटी पर कभी ध्यान नही जायेगा .कप टुट गया तो कपडे तो खराब होन्गे ही सब्को पता भी लग जायेगा.pite samya jor se sudakne ki aavaj nikaloge to ye behudgi hogi .aavaj na niklne ke chkkar me bilkul dhre dhre piyoge to thandi hone ke sath sath samne vala bhi kab tak intjaar karegaa . ghnte bhar me chay pita हें . isliye chay vese piyo jese chay pi jati हें .jindgi vese jiyo jese ji jati हें bina soch vichar kiye sahaj swabhavik parvah me .na dusro ko dikhane की jaldbaji na dusro ke dekhne ka dar .or aapko achee chay pilaye use jindgi me kabhi avoid na kare क्योकि वाही लाइफ की क्वालिटी मेंटेन करने मी आपकी मदद कर रहा हे .
सदस्यता लें
संदेश (Atom)