8/02/2007
देहली मे बसें
अभी हिंदुस्तान पेपर मे डी रजा जो वामपंथी हे का कथन पढ .vo corporet fild ke is फिल्ड मे उतरने कि अनुमति देने के विरोधी हे । पता नही एसे लोग कब सुधरेंगे .दुनिया मे समाजवाद आयेगा या नही । गरीबी मिटेगी या नही .पर इनके विचार कभी बदलने वाले नही हे । भारत को ५० साल तक समाजवाद के नाम पर गरीब बनाए रखने ओर ब्रस्ताचार कि खेती से भी इन्हें अकाल; नही आयी । .समय बदल गया हे । बाजार के मध्यम से भी समाजवाद अ सकता हे अगर आप गरीब को भी उद्यमी बन्ने कि कोशिश करे । .बसो को बर्थ नेताओ के कब्जे मे बनाए रखने के बजाये बरंद आधारित । सस्ती व महंगी बुसू का संचालन ज्यादा उचित होगा । दुर्घत्ने निजी द्रीवारो डरा नही बल्कि एसे अन्त्रेंद चाल्को को दादित ना कर पाने के कारण हे । मुझे याद हे आज से बीस साल पहले मेरे गाव से जीपो कि भी एसी ही किल्लत होती थी । लोग खाते थे जनसंख्या बद रही हे इसलिये एसे ही तहस तहस कर जाओ । अब पता नही क्या हो गया । जीपो वाले घटे मे जा रहे हे । जनसंख्या तो पहले से भी ज्यादा हो गया हे । जाहिर हे लिसेंसे राज के बहोत गलत परिणाम आये हे । इसका फयद आना गरीब जनता को मिला हे ना उपभोक्ज्ताओ को । । cheen me bhi to sudhar ho gayaa he . hum log is samaajvad ke jhute juee ko kab utaar kar fekenge jisme apni pargti ke liye sarkaar ki or muh taakne ki parvarti hoti he . udyamita or apne dum par aage badhne ki nahi .
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1 टिप्पणी:
हिन्दी लिखने में दिक्कत आ रही है क्या हंसते-खेलते नौजवान?
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